पंजाब में सिख दुल्हनों के लिए भारी लहंगा पहनने पर लगाई रोक, बैठक में तय हुआ दुल्हन का नया ड़्रेस कोड

गुरुद्वारा साहिब में आनंद कारज के दौरान सिख दुल्हन को क्या पहनना चाहिए? इस प्रस्ताव को सिखों के पांच तख्तों के जत्थेदारों की तख्त श्री हजूर साहिब में हुई बैठक में पारित किया गया। सख्ती से अमल करने को भी कहा गया है।
 

गुरुद्वारा साहिब में आनंद कारज के दौरान सिख दुल्हन को क्या पहनना चाहिए? इस प्रस्ताव को सिखों के पांच तख्तों के जत्थेदारों की तख्त श्री हजूर साहिब में हुई बैठक में पारित किया गया। सख्ती से अमल करने को भी कहा गया है।

यदि इनका पालन अच्छी तरह से नहीं किया गया, तो कठोर कार्रवाई की जाएगी। शादी के कार्ड में दूल्हा-दुल्हन के नाम के आगे सिंह-कौर लगाना भी अनिवार्य है। लावां-फेरे के दौरान दुल्हन भारी लहंगे न पहने और सलवार-कमीज व सिर पर चुन्नी पहने।

लड़कियां लावां करते समय भारी लहंगे पहनती हैं, जिससे उन्हें उठने-बैठने में कठिनाई होती है। वहीं गुरु महाराज के सामने झुकना भी मुश्किल है। लावां के दौरान गुरुद्वारों में दुल्हन पर फूलों या चुन्नी की छाया लगाना वर्जित है। 

डेस्टिनेशन मैरिज पर प्रतिबंध लगाया गया था

अक्तूबर में, सिखों की सर्वोच्च संस्था श्री अकाल तख्त साहिब ने डेस्टिनेशन मैरिज पर प्रतिबंध लगाया था। इस फैसले की घोषणा अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने अमृतसर में पांच तख्तों के ‘सिंह साहिबान’ की बैठक में की थी। 

ज्ञानी रघबीर सिंह ने कहा कि संगत की कुछ शिकायतों के अनुसार, कुछ लोग समुद्र तटों व रिसॉर्ट्स पर गुरु ग्रंथ साहिब की स्थापना कर आनंद कारज (सिख विवाह समारोह) का आयोजन करते हैं, जो 'मर्यादा' का उल्लंघन करता है।

पांच तख्तों के सिंह साहिबान ने समुद्र तटों, रिसॉर्ट्स और डेस्टिनेशन वेडिंग में 'आनंद कारज' करने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया है। विवाह समारोहों को होटलों, रिसॉर्ट्स और अन्य स्थानों पर आयोजित करने पर पहले से ही अकाल तख्त ने प्रतिबंध लगा रखा है।