रामानंद सागर ने रामायण में बादल और कोहरा दिखाने के लिए किए थे ऐसे जुगाड़, उस टाइम बिना टेक्नॉलजी के ऐसे हुई थी शूटिंग

साल 1987-88 के दौरान जब रामानंद सागर ने टेलीविजन पर "रामायण" का प्रसारण किया। तो उन्होंने न केवल भारतीय दर्शकों का दिल जीता। बल्कि इस धारावाहिक ने भारतीय संस्कृति के प्रति आदर और भक्ति की एक नई...
 

साल 1987-88 के दौरान जब रामानंद सागर ने टेलीविजन पर "रामायण" का प्रसारण किया। तो उन्होंने न केवल भारतीय दर्शकों का दिल जीता। बल्कि इस धारावाहिक ने भारतीय संस्कृति के प्रति आदर और भक्ति की एक नई लहर भी पैदा की। इस धारावाहिक ने जिस तरह से किरदारों को प्रस्तुत किया।

वह आज भी लोगों के दिलों में ताज़ा है और इन किरदारों को लोग भगवान की तरह पूजते हैं। रामानंद सागर की "रामायण" ने न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक चेतना को बढ़ावा दिया। बल्कि यह दिखाया कि कैसे रचनात्मकता और समर्पण से तकनीकी सीमाओं को पार किया जा सकता है। यह धारावाहिक आज भी भारतीय टेलीविजन का एक चमकदार रत्न माना जाता है।

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तकनीकी साधनों का अभाव और सागर की सृजनात्मकता

उस समय जब तकनीकी सुविधाएँ सीमित थीं और VFX का दौर भी नहीं आया था. रामानंद सागर ने अपनी रचनात्मकता से कमाल कर दिखाया। उन्होंने अगरबत्ती और रुई का उपयोग कर ऐसे दृश्य सृजित किए जो प्राकृतिक लगते थे।

कोहरे और बादलों को दर्शाने के लिए ये साधारण सामग्री असाधारण रूप से प्रयोग की गई थी। जिसे देखकर दर्शकों को यकीन होता था कि वे किसी वास्तविक दृश्य का हिस्सा बन रहे हैं।

एक प्रेरणा का स्रोत

रामानंद सागर को यह विचार फ्रांस में एक कैफे में आया था। जब उन्होंने 1976 में धर्मेंद्र और हेमा मालिनी की फिल्म "चरस" की शूटिंग के दौरान वहां एक रंगीन फिल्म देखी। उस अनुभव ने उन्हें टेलीविजन की दुनिया में कदम रखने और धार्मिक आधार पर सीरियल बनाने की प्रेरणा दी।

उनकी यह यात्रा अंततः "रामायण" के रूप में समाप्त हुई, जो 550 दिनों तक चली और प्रत्येक एपिसोड पर लगभग 9 लाख रुपये खर्च हुए।

दारा सिंह की अद्वितीय भूमिका

इस धारावाहिक में दारा सिंह द्वारा निभाई गई हनुमान की भूमिका भी काफी प्रसिद्ध हुई। विशेष रूप से वह सीन जहां उन्होंने 70 किलो के सुनील लहरी को अपने कंधे पर बिठाया। वह उनकी शारीरिक शक्ति और अभिनय कौशल का परिचायक है। यह सीन आज भी दर्शकों के बीच में चर्चित है।

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टेक्नोलॉजिकल इनोवेशन और इसका प्रभाव

इस सीरीज में उपयोग की गई टेक्नोलॉजिकल इनोवेशन में से एक सोनी का स्पेशल इफेक्ट जेनरेटर SEG 2000 था। जिसे युद्ध के दृश्यों में तीरों की आवाज, बादलों की गरज और समंदर की लहरों की आवाज के लिए इस्तेमाल किया गया था। यह उपकरण उस समय नया था और इसने धारावाहिक को एक विशेष आयाम प्रदान किया।