दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे को लेकर RTI से हुआ बड़ा खुलासा, 16KM के लंबे रूट पर काटे गये 7500 से ज्यादा पेड़

दिल्ली और देहरादून के बीच की दूरी को कम करने और यात्रा को आसान बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण परियोजना दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे का निर्माण चल रहा है। इस परियोजना का उद्देश्य न केवल यातायात की सुविधा में वृद्धि...
 

दिल्ली और देहरादून के बीच की दूरी को कम करने और यात्रा को आसान बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण परियोजना दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे का निर्माण चल रहा है। इस परियोजना का उद्देश्य न केवल यातायात की सुविधा में वृद्धि करना है बल्कि पर्यावरण के प्रति भी सचेत रहना है।

दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे का निर्माण न केवल एक आधुनिक यात्रा मार्ग के रूप में उभर रहा है बल्कि यह पर्यावरणीय संरक्षण और सामाजिक जागरूकता के नए मानक भी स्थापित कर रहा है। इस परियोजना की सफलता से न केवल वर्तमान पीढ़ी को लाभ होगा।

बल्कि यह भविष्य की पीढ़ियों के लिए भी एक सुनहरा भविष्य सुनिश्चित करेगा। इस परियोजना का समापन न केवल एक तकनीकी उपलब्धि होगी बल्कि यह एक पर्यावरणीय और सामाजिक विजय के रूप में भी मनाया जाएगा।

पेड़ों की कटाई और पुनर्वनीकरण

पर्यावरण के प्रति सजगता दिखाते हुए इस एक्सप्रेसवे के निर्माण में 7,575 पेड़ों की कटाई के बाद भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने 1.76 लाख से अधिक पेड़ लगाने की योजना बनाई है। यह कदम न केवल पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखने की दिशा में एक सकारात्मक पहल है बल्कि यह भविष्य के लिए एक सुनहरा उदाहरण भी प्रस्तुत करता है।

एक्सप्रेसवे की विशेषताएं और सुविधाएं

दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे जो कि 212 किमी लंबा और छह लेन वाला है, 12,000 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित किया जा रहा है। इसके खुलने से दिल्ली और देहरादून के बीच यात्रा के समय में लगभग ढाई घंटे की कमी आएगी। इस एक्सप्रेसवे की विशेषताएं इसे न केवल एक सुगम यात्रा पथ बनाती हैं बल्कि एक टेक्नोलॉजिकल मार्वल भी प्रस्तुत करती हैं।

पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभाव

इस परियोजना के निर्माण से न केवल यातायात की सुगमता में वृद्धि होगी बल्कि इससे पर्यावरणीय संरक्षण और सामाजिक उत्थान में भी मदद मिलेगी। एनएचएआई द्वारा उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के वन विभागों को दिए गए धन के माध्यम से प्रतिपूरक वनीकरण योजना को सफलतापूर्वक क्रियान्वित किया जा रहा है।