शाहजहां ने इस खुशी में हफ्ते तक महल में जमकर बांटी थी दौलत, इस शख्स को खुशी से दे दी घोड़े, हाथी और अशर्फियां

मुगल साम्राज्य में शाहजहां और मुमताज महल की जिंदगी अनेक कहानियों का हिस्सा रही है। इन्हीं कहानियों में से एक है उनकी सबसे बड़ी बेटी जहांआरा की कहानी जिसे इतिहास ने एक खास मुकाम पर रखा है।
 

मुगल साम्राज्य में शाहजहां और मुमताज महल की जिंदगी अनेक कहानियों का हिस्सा रही है। इन्हीं कहानियों में से एक है उनकी सबसे बड़ी बेटी जहांआरा की कहानी जिसे इतिहास ने एक खास मुकाम पर रखा है। जहांआरा न केवल एक राजकुमारी थीं बल्कि अपने समय की सबसे अमीर महिलाओं में से एक थीं।

जहांआरा का जीवन और उनकी महत्त्वाकांक्षा

जहांआरा का जन्म मुगल साम्राज्य के सुनहरे युग में हुआ था। उन्होंने अपने पिता शाहजहां के साथ मिलकर कई सार्वजनिक कार्यक्रमों और परियोजनाओं का नेतृत्व किया। जहांआरा ने अपने विचारों और कर्मों के माध्यम से यह साबित किया कि वह केवल एक राजकुमारी नहीं बल्कि एक कुशल प्रशासक भी थीं।

दुर्घटना और शाहजहां का प्रेम

1644 में, एक भयानक दुर्घटना में जहांआरा गंभीर रूप से झुलस गईं। यह समय शाहजहां के लिए बहुत कठिन था क्योंकि वह अपनी बेटी से बेहद प्यार करते थे। राजा ने अपनी बेटी के इलाज के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी और देशभर से विशेषज्ञ हकीमों को बुलाया। इस दौरान शाहजहां ने गरीबों में धन बांटना शुरू कर दिया ताकि उनकी दुआओं के साथ जहांआरा जल्दी स्वस्थ हो सकें।

जहांआरा का दोबारा सही होना और शाहजहां की खुशी

जब जहांआरा ठीक हो गईं, तो शाहजहां ने अपनी खुशी का इज़हार करने के लिए आठ दिनों तक महल में गरीबों के लिए पैसे की वर्षा की। उन्होंने जहांआरा को 130 मोती के साथ पांच लाख रुपये के कंगन भी तोहफे में दिए। इसके अलावा उन्होंने इलाज करने वाले हकीम को भी बहुत बड़ा इनाम दिया जिसमें 200 घोड़े, हाथी और 500 तोले सोने के बराबर अशर्फियां शामिल थीं।