50 साल पुराने केस में सुप्रीम कोर्ट ने लिया बड़ा डिसीजन, इस कंडिशन में पत्नी को नही मिलेगा प्रॉपर्टी में मालिकाना हक़
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, जिसमें यह निर्दिष्ट किया गया है कि अगर कोई हिंदू पुरुष अपनी पत्नी को अपनी स्व-अर्जित संपत्ति का सीमित मालिकाना हक देता है, तो पत्नी उस संपत्ति की पूर्ण मालिक नहीं बन सकती है।
सुप्रीम कोर्ट की पीठ का निर्णय
जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ ने इस मामले में 50 साल पुराने केस पर फैसला सुनाते हुए, पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के पूर्व के फैसले को निरस्त कर दिया। इस मामले में तुलसी राम नामक व्यक्ति ने अपनी संपत्ति को अपने बेटे और दूसरी पत्नी के नाम कर दिया था।
संपत्ति विभाजन की शर्तें
तुलसी राम ने अपने बेटे को संपत्ति का पूर्ण मालिक बनाया, जबकि अपनी पत्नी को सीमित संपत्ति का अधिकार दिया गया था। उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि पत्नी के निधन के बाद संपत्ति पर बेटे का अधिकार होगा।
राम देवी के अधिकार पर फैसला
अदालत ने स्पष्ट किया कि राम देवी को सीमित संपत्ति के रूप में मिली संपत्ति को बेचने या दूसरे के नाम हस्तांतरण का कोई अधिकार नहीं था।
उपभोक्ताओं के लिए महत्वपूर्ण जानकारी
इस फैसले से उपभोक्ताओं को यह समझने का अवसर मिलता है कि स्व-अर्जित संपत्ति पर पत्नी का सीमित अधिकार होता है, और वे इसका पूर्ण मालिकाना हक नहीं प्राप्त कर सकतीं।