भारत के इस रूट पर चलाई गई थी देश की पहली AC ट्रेन, कोच को ठंडा रखने के लिए रखी जाती थी बर्फ की सिल्ली

भारतीय रेलवे का इतिहास अनेकों कहानियों और यात्राओं से भरा पड़ा है जिनमें से हर एक ने देश के विकास में एक अहम भूमिका निभाई है। आज हमारे पास वंदे भारत जैसी उच्च-गति वाली ट्रेनें हैं जो आधुनिक सुविधाओं और आरामदायक यात्रा कराती हैं।
 

भारतीय रेलवे का इतिहास अनेकों कहानियों और यात्राओं से भरा पड़ा है जिनमें से हर एक ने देश के विकास में एक अहम भूमिका निभाई है। आज हमारे पास वंदे भारत जैसी उच्च-गति वाली ट्रेनें हैं जो आधुनिक सुविधाओं और आरामदायक यात्रा कराती हैं। लेकिन इसकी शुरुआत उस समय हुई थी जब देश ने अपनी पहली एसी ट्रेन का संचालन शुरू किया था।

देश की पहली एसी ट्रेन की अनोखी यात्रा

1934 में शुरू हुई इस ट्रेन का नाम फ्रंटियर मेल था, जो बाद में गोल्डन टेम्पल मेल के नाम से प्रसिद्ध हुई। इस ट्रेन की यात्रा बैलार्ड पियर स्टेशन, मुंबई से शुरू होकर दिल्ली, बठिंडा, फिरोजपुर और लाहौर होते हुए पेशावर तक जाती थी। यह न केवल एक लंबी यात्रा थी बल्कि इसने उस समय के भारतीय रेलवे की क्षमता और पहुँच को भी दर्शाया।

अनोखी ठंडक का राज

इस ट्रेन की बोगी को ठंडा रखने के लिए बर्फ की सिल्लियों का इस्तेमाल किया जाता था जो उस समय की तकनीकी सीमाओं को पार करने का एक नया तरीका था। यह बताता है कि कैसे भारतीय रेलवे ने समय के साथ नई तकनीक और विकास को अपनाया।

लग्जरी और आधुनिकता का मेल

फ्रंटियर मेल को उस समय की सबसे लग्जरी ट्रेनों में से एक माना जाता था। पहले भाप से चलाई जाने वाली इस ट्रेन की गति 60 किमी प्रति घंटा थी जो वर्तमान में इलेक्ट्रिसिटी से चलाई जाती है। यह बदलाव भारतीय रेलवे की तकनीकी उन्नति के बारे में बताता है।

आज के समय में गोल्डन टेम्पल मेल

आज, गोल्डन टेम्पल मेल 1,893 किलोमीटर की दूरी तय करती है और 35 रेलवे स्टेशनों पर रुकती है। इसमें लगभग 1300 यात्री सफर करते हैं। यह ट्रेन न केवल यात्रियों को ले जाने और लाने का काम करती है बल्कि पहले टेलीग्राम लेकर जाने और लाने का भी काम करती थी। इसकी उम्र अब 95 साल की हो चुकी है, जो इसकी दीर्घकालिक सेवा और ऐतिहासिक महत्व को दर्शाती है।