इस नस्ल की गाय अपने पशुपालकों के लिए नहीं है किसी वरदान से कम, दूध की भरी बाल्टी से बना देती है मालामाल
भारतीय कृषि और डेयरी उद्योग में भैंस पालन का एक विशेष स्थान है। प्राचीन काल से ही भारतीय किसान खेती के साथ-साथ पशुपालन में भी संलग्न रहे हैं, जिसमें भैंस पालन मुख्य रूप से शामिल है। भैंस पालन न केवल भारतीय कृषि और डेयरी उद्योग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
बल्कि यह किसानों के लिए आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत भी है। भदावरी भैंस की नस्ल किसानों को दूध उत्पादन में अधिक मुनाफा प्रदान करती है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।
भारत भैंसों की आबादी में आगे
विश्व के मानचित्र पर भारत को भैंसों की सबसे बड़ी आबादी वाले देश के रूप में जाना जाता है। भारतीय डेयरी उद्योग में दूध उत्पादन का एक बड़ा हिस्सा भैंसों से प्राप्त होता है।
भैंस पालन की प्राथमिकता
ग्रामीण भारत में भैंस पालन को विशेष प्राथमिकता दी जाती है। भैंस के दूध को इसकी गाढ़ापन और उच्च वसा सामग्री के कारण अधिक पसंद किया जाता है, जो इसे खीर, दही, पेड़ा जैसे व्यंजनों के लिए उत्तम बनाता है।
भदावरी भैंस नस्ल
भदावरी भैंस जो अपने उच्च वसा सामग्री वाले दूध के लिए प्रसिद्ध है। भारतीय किसानों के बीच एक पसंदीदा नस्ल है। इस नस्ल की भैंसों के दूध में वसा की मात्रा 14 से 18 प्रतिशत तक होती है, जो इसे डेयरी उत्पादन के लिए विशेष रूप से मूल्यवान बनाती है।
भदावरी भैंस की विशेषताएं
भदावरी भैंस का जन्मस्थान भदावर राज्य है। जिसमें आज के आगरा, इटावा और ग्वालियर जैसे क्षेत्र शामिल हैं। इस नस्ल की भैंसें अपनी अनुकूलन क्षमता कम भोजन में भी उच्च गुणवत्ता वाले दूध का उत्पादन और रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए जानी जाती हैं।
भदावरी नस्ल का चयन क्यों?
किसान उच्च वसा सामग्री वाले दूध के लिए भदावरी भैंसों का चयन करते हैं। बाजार में इस प्रकार के दूध की मांग अधिक होने के कारण किसानों को बेहतर मुनाफा होता है।