यूपी के इन 14 गांवों के लोगों की सरकार ने कर दी बल्ले-बल्ले, भूमि अधिग्रहण के बदले मिलेंगे इतने करोड़
जेवर एयरपोर्ट के विकास के तीसरे और चौथे चरण के लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया ने नई उम्मीदें और संभावनाएं जगा दी हैं। यह परियोजना न केवल क्षेत्रीय विकास को एक नई दिशा प्रदान करेगी बल्कि यह उत्तर प्रदेश, विशेषकर जेवर और आसपास के क्षेत्रों के लिए एक बड़े आर्थिक उत्थान का माध्यम भी बनेगी।
जेवर एयरपोर्ट का विकास न केवल उत्तर प्रदेश के लिए बल्कि पूरे भारत के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा। इस परियोजना से जुड़े चुनौतियों और अवसरों का सामना करते हुए, एक संतुलित और समावेशी विकास की दिशा में कदम बढ़ाना अत्यंत महत्वपूर्ण होगा।
जमीन अधिग्रहण: एक व्यापक दृष्टिकोण
2053 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण जेवर के 14 गांवों से किया जाएगा, जिसमें तीन रनवे निर्मित किए जाएंगे। इस बड़े अधिग्रहण से न केवल एविएशन हब के निर्माण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया जा रहा है, बल्कि इससे स्थानीय समुदायों पर भी व्यापक प्रभाव पड़ेगा।
सामाजिक प्रभाव मूल्यांकन (SIA): एक जरूरी प्रक्रिया
सामाजिक प्रभाव मूल्यांकन के माध्यम से, प्रभावित किसानों और समुदायों से चर्चा कर उनके पुनर्वासन और पुनर्व्यवस्थापन के साथ-साथ उचित मुआवजे की योजना बनाई जाएगी। यह प्रक्रिया न केवल पारदर्शिता सुनिश्चित करती है बल्कि इससे प्रभावित लोगों के हितों का भी ख्याल रखा जाता है।
आर्थिक विकास की नई संभावनाएं
जेवर एयरपोर्ट परियोजना के पूर्ण होने से न केवल नागरिक उड्डयन क्षेत्र में वृद्धि होगी, बल्कि इससे आसपास के क्षेत्रों में व्यापार, पर्यटन और रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे। इस परियोजना से जुड़े अधिग्रहण और निर्माण कार्य अर्थव्यवस्था को एक नई गति प्रदान करेंगे।
पर्यावरण और समुदाय पर प्रभाव
इस प्रकार के विशाल अधिग्रहण और निर्माण कार्यों से पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभाव भी उत्पन्न होते हैं। इसलिए, परियोजना की योजना और क्रियान्वयन में पर्यावरणीय संरक्षण और समुदायों के सतत विकास को भी प्राथमिकता देनी होगी।