भारत की सरकार ने इन किताबों को पढ़ने पर लगा रखा है बैन, अगर आपके पास मिली तो हवालात जाने की आ सकती है नौबत
पुस्तकें ज्ञान का खजाना होती हैं और साहित्य के द्वारा हम अनेक संस्कृतियों और विचारों से परिचित होते हैं। पुस्तकें हमें यह सिखाती हैं कि सामाजिक संरचना और व्यक्तिगत विचारधारा के बीच संतुलन बनाना कितना जटिल हो सकता है। और इनके माध्यम से हम इतिहास और समाज के विभिन्न पहलुओं को समझ सकते हैं।
फिर भी कुछ पुस्तकें ऐसी होती हैं जिन्हें विवादित समझा जाता है और सामाजिक संरचना या संवेदनशीलता के कारण इन्हें प्रतिबंधित कर दिया गया है। आज हम ऐसी ही कुछ पुस्तकों के बारे में जानेंगे।
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द फेस ऑफ मदर इंडिया
कैथरीन मेयो की पुस्तक "द फेस ऑफ मदर इंडिया" ने भारत के स्वशासन की योग्यता पर प्रश्न उठाए थे। इस पुस्तक में भारतीय समाज और संस्कृति की गहराई से आलोचना की गई थी। जिसे ब्रिटिश नजरिए से देखा गया था। इसके चलते भारत सरकार ने इस पुस्तक पर प्रतिबंध लगा दिया और इसके आयात पर भी रोक लगाई गई।
हिन्दू हैवन
मैक्स वाइली द्वारा लिखित "हिन्दू हैवन" में अमेरिकी मिशनरीज़ के भारत में किए गए कामों का विवरण है। इस पुस्तक में बताया गया है कि कैसे मिशनरीज़ ने भारत में अपने कार्यों को अंजाम दिया। इसकी सामग्री को बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत किया गया माना जाता है, जिसके चलते इसे भी प्रतिबंधित किया गया।
अनआर्म्ड विक्ट्री
बरट्रंड रसेल की "अनआर्म्ड विक्ट्री" में क्यूबा के मिसाइल संकट के साथ-साथ भारत-चीन युद्ध पर भी प्रकाश डाला गया है। भारत के प्रति लेखक के क्रिटिकल दृष्टिकोण ने इस पुस्तक को तत्काल प्रतिबंधित करने की दिशा में धकेल दिया।
अंगारे
"अंगारे" में संगृहीत 9 कहानियां हैं जो मुस्लिम समाज के कट्टरता और पितृसत्तात्मक संरचना को चुनौती देती हैं। इस पुस्तक के प्रकाशन के बाद भारी आलोचना और विरोध के चलते इसे बैन कर दिया गया और अधिकांश प्रतियां नष्ट कर दी गईं।
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द ट्रूं फुरकान
"द ट्रूं फुरकान" में क़ुरआन की शिक्षाओं को क्रिश्चियनिटी के साथ मिलाकर लिखा गया है। इसे मुस्लिम समाज के खिलाफ उकसावे का माध्यम माना गया और इसकी प्रतियां भी भारत में आयात करने पर रोक लगी हुई है।