हेलिकॉप्टर अपनी पंखुड़ियों से तो उड़ता है फिर मुड़ता कैसे है, बहुत कम लोगों को पता होगी ये मजेदार जानकारी

जब भी हम आसमान की ओर देखते हैं अक्सर हमें उड़ते हुए विमान या हेलीकॉप्टर नजर आते हैं। ये दोनों ही वायुयान अपनी-अपनी खासियतों के साथ हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
 

जब भी हम आसमान की ओर देखते हैं अक्सर हमें उड़ते हुए विमान या हेलीकॉप्टर नजर आते हैं। ये दोनों ही वायुयान अपनी-अपनी खासियतों के साथ हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हालांकि इनके कार्य करने के तरीके में मौलिक अंतर होता है। आइए इस लेख में हम हेलीकॉप्टर के उड़ान के विज्ञान को समझने का प्रयास करें।

हेलीकॉप्टर की यह अनूठी उड़ान क्षमता इसे विशेष रूप से महत्वपूर्ण बनाती है खासकर उन स्थानों पर जहां विमानों के लिए उतरना मुश्किल होता है। इसकी लचीलापन और वर्सेटिलिटी ने हेलीकॉप्टर को आपातकालीन सेवाओं, सैन्य ऑपरेशन्स, और यहाँ तक कि व्यक्तिगत यातायात के साधन के रूप में भी अपरिहार्य बना दिया है।

इस प्रकार हेलीकॉप्टर न केवल आसमान में एक चमत्कारिक वाहन है। बल्कि यह हमारी दैनिक जीवनशैली में एक अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान देता है।

हेलीकॉप्टर उड़ाने की अनूठी तकनीक 

हेलीकॉप्टर की उड़ान का रहस्य इसके विशाल रोटेटिंग ब्लेड्स में छुपा होता है। ये ब्लेड्स जब तेजी से घूमते हैं तो हवा को नीचे की ओर धकेलते हैं। जिससे हेलीकॉप्टर को ऊपर की ओर लिफ्ट मिलती है। इस प्रक्रिया में भौतिक विज्ञान का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत बरनौली का सिद्धांत पर काम करता है।

बरनौली के सिद्धांत का जादू 

बरनौली के सिद्धांत के अनुसार किसी भी फ्लूइड (यहाँ पर हवा) की गति जितनी अधिक होगी प्रेशर उतना ही कम होगा। हेलीकॉप्टर के ब्लेड्स का डिजाइन इसी सिद्धांत पर आधारित होता है। जिससे ब्लेड्स के ऊपर की ओर वायु का प्रेशर कम हो जाता है और नीचे की ओर अधिक। इस अंतर की वजह से हेलीकॉप्टर ऊपर उठ पाता है।

दिशा में परिवर्तन

अब सवाल उठता है कि बिना विंग्स के हेलीकॉप्टर हवा में कैसे दिशा बदलता है? इसका जवाब छुपा होता है हेलीकॉप्टर के रोटर सिस्टम में। पायलट विभिन्न कंट्रोल्स का उपयोग करके ब्लेड्स के एंगल को बदल सकता है। जिससे हेलीकॉप्टर दाएं, बाएं, आगे या पीछे की दिशा में मूव कर सकता है।

उड़ान की दिशा निर्धारण 

यह प्रक्रिया काफी जटिल होती है और पायलट को उड़ान के दौरान लगातार ब्लेड्स के एंगल में समायोजन करते रहना पड़ता है। उदाहरण के लिए अगर पायलट हेलीकॉप्टर को बाएं ओर मोड़ना चाहता है तो वह दाएं ओर के ब्लेड्स का एंगल बढ़ा देगा और बाएं ओर के ब्लेड्स का एंगल कम कर देगा। इससे दाएं तरफ अधिक लिफ्ट पैदा होती है और हेलीकॉप्टर बाएं ओर मुड़ जाता है।