इस राज्य के नैशनल हाइवे पर देना पड़ता है सबसे ज्यादा टोल, जाने कहां है ये हाइवे

भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों का जाल बहुत बड़ा है और इन पर यात्रा करने वाले वाहनों से टोल टैक्स की वसूली आवश्यक है। यह टोल टैक्स राजमार्गों के रखरखाव और उन्नयन के लिए एक महत्वपूर्ण आय स्रोत है।
 

भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों का जाल बहुत बड़ा है और इन पर यात्रा करने वाले वाहनों से टोल टैक्स की वसूली जरूरी है। यह टोल टैक्स राजमार्गों के रखरखाव के लिए एक महत्वपूर्ण आय स्रोत है। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के अनुसार वर्तमान में देशभर में 983 टोल प्लाजा चालू हैं।

राज्यवार टोल प्लाजा की संख्या

राजस्थान में सबसे ज्यादा 142 टोल प्लाजा हैं जो इस राज्य के विशाल भौगोलिक आकार और राजमार्गों के व्यापक नेटवर्क को दर्शाता है। इसके बाद उत्तर प्रदेश में 102 और मध्य प्रदेश में 86 टोल प्लाजा हैं। वहीं हरियाणा और दिल्ली के पास क्रमशः 37 और 51 टोल प्लाजा स्थित हैं जो इन क्षेत्रों की आर्थिक गतिविधियों के केंद्र के रूप में महत्वपूर्ण हैं।

टोल प्लाजा की कम संख्या वाले राज्य

हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर में टोल प्लाजा की संख्या सबसे कम है प्रत्येक में केवल पांच। यह कम संख्या इन राज्यों की भौगोलिक स्थिति और पहाड़ी इलाकों में टोल प्लाजा स्थापित करने की चुनौतियों को दर्शाती है। केरल, उत्तराखंड, नॉर्थ-ईस्ट राज्य, झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना और बिहार जैसे राज्यों में भी टोल प्लाजा की संख्या बहुत कम है।

टोल प्लाजा स्थापना के मानदंड

सरकार द्वारा टोल प्लाजा की स्थापना राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क (दरों का निर्धारण और संग्रह) नियम, 2008 के अनुसार की जाती है। ये नियम यह सुनिश्चित करते हैं कि एक ही दिशा में और उसी खंड पर दूसरा टोल प्लाजा साठ किलोमीटर की दूरी पर बनाए जाए जिससे यात्रियों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ न पड़े।

भारतीय राजमार्गों पर टोल प्लाजा का महत्व

टोल प्लाजा न केवल सरकार के लिए आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं बल्कि ये राजमार्गों की देखभाल और सुधार के लिए भी जरूरी हैं। ये आधुनिकीकरण और उच्चतर सड़क सुविधाओं के लिए निरंतर निवेश सुनिश्चित करते हैं जो भारतीय अर्थव्यवस्था और समाज के लिए अत्यंत लाभकारी हैं।