भारतीय नोट जिस कागज से बनते है उसको आम आदमी खरीद सकता है या नही, क्या इसके लिए भी लेना पड़ता है कोई लाइसेंस
भारतीय करेंसी, जिसे हम रोजमर्रा में इस्तेमाल करते हैं. अब पूर्णतः 'मेक इन इंडिया' पहल के अंतर्गत भारत में ही छपती है। भारत में 1 रुपये से लेकर 2000 रुपये तक के नोट मौजूद हैं। जिन्हें विशेष प्रकार के कागज पर छापा जाता है। पहले यह कागज विदेशों से आयात किया जाता था। लेकिन अब इसे भारत में ही बनाया जाता है।
जो स्वदेशी उत्पादन की ओर एक सकारात्मक कदम है। भारतीय करेंसी की छपाई एक जटिल और सुरक्षित प्रक्रिया है जिसे कठोर नियमों और विनियमों के तहत अंजाम दिया जाता है। यह सुनिश्चित करता है कि देश की आर्थिक सुरक्षा बनी रहे और नागरिकों को सुरक्षित और विश्वसनीय माध्यम प्रदान किया जा सके।
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करेंसी छापने की कानूनी प्रक्रिया
किसी भी देश की करेंसी छापना उस देश की सरकार का अधिकार होता है और यह एक सख्ती से नियंत्रित प्रक्रिया है। भारत में नोट छापने के लिए विशेष लाइसेंस और सरकारी आदेश की आवश्यकता होती है। बिना इनकी अनुमति के नोट छापना न केवल अवैध है बल्कि इसे जालसाजी माना जाता है और इसके लिए कठोर दंड का प्रावधान है।
नोट छापने वाले प्रिंटिंग प्रेस का महत्व
भारत में कुल चार मुख्य प्रिंटिंग प्रेस हैं, जो देवास, नासिक, सलबोनी और मैसूर में स्थित हैं। इनमें से दो प्रिंटिंग प्रेस सीधे भारत सरकार के अधीन हैं जबकि दो अन्य रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की सब्सिडियरी कंपनी के अधीन हैं। ये प्रेस न केवल करेंसी छापती हैं बल्कि सुरक्षा और जालसाजी रोधी तकनीकों को भी सुनिश्चित करती हैं।
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नोट बनाने के लिए उपयोग होने वाले कागज और स्याही
भारतीय करेंसी में इस्तेमाल किया जाने वाला कागज मुख्य रूप से विदेशों से आयातित होता है। जबकि एक छोटा हिस्सा भारत में होशंगाबाद की पेपर मिल में उत्पादित होता है। नोट पर उपयोग की जाने वाली स्याही स्विट्जरलैंड की कंपनी एसआईसीपीए द्वारा निर्मित होती है और इसमें विशेष सुरक्षा विशेषताएं होती हैं।