सोने की खोज में निकले गांव के लोगों के हाथ लगा सदियों पुराना खजाना, बेशकीमती चीजों को देख हर कोई हैरान

भारतीय पुरातत्व अनुसंधान (Archaeological Research) में एक नई और उल्लेखनीय उपलब्धि के रूप में, हड़प्पा सभ्यता (Harappan Civilization) के अवशेष धोलावीरा (Dholavira) के पास लोद्राणी गांव में पाए गए हैं।
 

भारतीय पुरातत्व अनुसंधान (Archaeological Research) में एक नई और उल्लेखनीय उपलब्धि के रूप में, हड़प्पा सभ्यता (Harappan Civilization) के अवशेष धोलावीरा (Dholavira) के पास लोद्राणी गांव में पाए गए हैं। इस खोज ने पुरातत्वविदों और इतिहास प्रेमियों को समान रूप से उत्साहित किया है।

मोरोधारो की खोज ने गुजरात के कच्छ क्षेत्र में हड़प्पा सभ्यता के विस्तार के बारे में नई जानकारी प्रदान की है। यह खोज न केवल पुरातत्वविदों के लिए बल्कि संपूर्ण मानव सभ्यता के इतिहास के अध्ययन के लिए भी महत्वपूर्ण है।

सोने की तलाश में मिला इतिहास

गांव के लोगों की सोना खोजने की कोशिशों ने उन्हें हड़प्पा काल की एक किलाबंद बस्ती (Fortified Settlement) के अवशेषों तक पहुँचा दिया। यह खोज न केवल इतिहास के पन्नों में एक नया अध्याय जोड़ती है बल्कि इस क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर (Cultural Heritage) को भी समृद्ध करती है।

विशेषज्ञों की नजर में मोरोधारो

ऑक्सफोर्ड स्कूल ऑफ आर्कियोलॉजी (Oxford School of Archaeology) से आए अजय यादव और प्रोफेसर डेमियन रॉबिन्सन ने इस साइट का जायजा लिया और पाया कि इसकी बनावट धोलावीरा से मिलती-जुलती है। यह साइट, जिसे मोरोधारो (Morodharo) का नाम दिया गया, हड़प्पा युग के अंतिम चरणों से संबंधित प्रतीत होती है।

मध्यकालीन किला नहीं, हड़प्पाकालीन बस्ती

गांववालों को पहले लगता था कि यहां मध्यकालीन किला (Medieval Fort) और दबा हुआ खजाना (Buried Treasure) हैं, लेकिन खुदाई में हड़प्पाकालीन बस्ती के अवशेष मिले। यह खोज इस बात का प्रमाण है कि इस क्षेत्र में 4,500 साल पहले एक पूरी सभ्यता का शहर (Civilization's City) मौजूद था।

पुरातत्व में नई संभावनाएं

मोरोधारो की खोज ने हड़प्पा सभ्यता के अध्ययन में नई संभावनाओं को जन्म दिया है। इस साइट से मिले बर्तन (Pottery) और अन्य अवशेष धोलावीरा में पाए गए अवशेषों से मिलते हैं, जो इस बात का संकेत देते हैं कि हड़प्पाकालीन सभ्यता का विस्तार और भी व्यापक था।