दूध देने वाले पशुओं के लिए साइलेज नही है किसी वरदान से कम, पशुपालकों की आमदनी में लगा देगा चार चांद

अब उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में निराश्रित गो-आश्रय स्थलों में सुरक्षित गोवंशों को पोषक तत्वों से भरपूर आहार, या साइलेज मिलेगा। इन पशुओं को अभी तक सूखा भूसा ही खिलाया जाता था।
 

अब उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में निराश्रित गो-आश्रय स्थलों में सुरक्षित गोवंशों को पोषक तत्वों से भरपूर आहार, या साइलेज मिलेगा। इन पशुओं को अभी तक सूखा भूसा ही खिलाया जाता था। डीएम अखंड प्रताप सिंह की पहल पर जिले की सभी गोशालाओं में साइलेज का प्रयोग चारे के रूप में अनिवार्य कर दिया गया है।

देवरिया प्रदेश में निराश्रित पशुओं को साइलेज (पौष्टिक भोजन) खिलाने वाला पहला जिला बन गया है। तीन किलो साईलेज प्रतिदिन पशु को खिलाया जाएगा। साईलेज में पशुओं के लिए आवश्यक लगभग सभी तत्व उपलब्ध हैं।

पौष्टिक तत्वों से भरपूर आहार है साईलेज

देवरिया जिले में संरक्षित गोवंशों को भोजन में भूसे की जगह साइलेज मिलने लगे हैं। भूसे में कोई न्यूट्रिशियस गुण नहीं होते।साइलेज, हालांकि, पोषक तत्वों से भरपूर आहार है। पिछले एक महीने से सभी गोवंशों को तीन किलो साइलेज प्रतिदिन दिया जा रहा है।

जो बहुत अच्छा परिणाम देता है। गायों की सेहत सुधर रही है और वे पहले से ज्यादा स्वस्थ दिख रही हैं। जिले में भूसे की खरीद पर रोक लगा दी गई है। भूसे की पुरानी संपत्ति को खपाने का आदेश दिया गया है।

क्या होता है साइलेज

साइलेज एक नवीन पशु भोजन है। इसे दुधारू पशुओं का वरदान मानते हैं। यह दाने और हरे चारे के बीच की कड़ी है। इसमें दोनों गुण हैं। 20 प्रतिशत तक मक्के के दाने इसमें प्रयोग किए जाते हैं। विभिन्न पोषक तत्वों में क्रूड फाइबर, पोटेशियम, जिंक, कैल्शियम, आयरन, फॉस्फोरस और प्रोटीन शामिल हैं।

इसे बनाने में अक्सर मक्का, बाजरा, ज्वार आदि प्रयोग किए जाते हैं। इसके प्रयोग से दूध उत्पादन क्षमता में वृद्धि होती है, साथ ही इसकी गुणवत्ता और फैट की मात्रा में वृद्धि होती है। रोगप्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है।

कैसे बनता है साइलेज

साइलेज बनाने के लिए पहले मक्का की फसल को भुट्टे सहित दुधिया दाना बनाकर काट लिया जाता है। फिर मशीनों की मदद से इसे अच्छे से दबाकर एयर टाइट पैक किया जाता है। एयर टाइट बैग में पैक होने पर चारे में फर्मेंटेशन होता है और साइलेज लगभग 21 से 30 दिन में बनकर तैयार होता है।

बेलर मशीन साइलेज बनाती है। सीतापुर की एक निजी फर्म देवरिया में आपूर्ति करती है। साईलेज का एक किलो लगभग 9 रुपए है।

राज्य सरकार साइलेज के प्रयोग को प्रोत्साहन दे रही

देवरिया जिले की गौशालाओं में साईलेज का उपयोग अनिवार्य कर दिया गया है, जिलाधिकारी अखंड प्रताप सिंह ने बताया। भूसे को नगर निकाय या जिला पंचायत नहीं देगा। उनका कहना था कि राज्य सरकार साइलेज का उपयोग बढ़ा रही है।

1708 गोवंश जनपद के 24 निराश्रित गो-आश्रय स्थलों में सुरक्षित हैं, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. अरविंद कुमार वैश्य ने बताया। सीतापुर में एक निजी फर्म साइलेज की आपूर्ति करता है। साइलेज का उपयोग सकारात्मक होता जा रहा है। इसके प्रयोग से पशुओं में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ी है और बीमारी दर कम हुई है।