कम पानी या सूखे वाले इलाकों में कर सकते है धान कि इन किस्मों की खेती, 4 महीनों में दिखने लगेगा असली रिजल्ट

धान की खेती के लिए पारंपरिक रूप से ज्यादा पानी की आवश्यकता होती है लेकिन कृषि वैज्ञानिकों ने ऐसी कई किस्में विकसित की हैं जो कम पानी और सूखा प्रभावित क्षेत्रों में भी अच्छी उपज देने में सक्षम हैं।
 

धान की खेती के लिए पारंपरिक रूप से ज्यादा पानी की आवश्यकता होती है लेकिन कृषि वैज्ञानिकों ने ऐसी कई किस्में विकसित की हैं जो कम पानी और सूखा प्रभावित क्षेत्रों में भी अच्छी उपज देने में सक्षम हैं। ये किस्में किसानों के लिए वरदान साबित हो रही हैं खासकर उन क्षेत्रों में जहां बारिश की अनिश्चितता पाई जाती है। आइए ध्यान दें उन पाँच किस्मों पर जो इस संदर्भ में अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।

पूसा सुगंध-5

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा विकसित पूसा सुगंध-5 एक सुगंधित हाइब्रिड किस्म है जो 120 से 125 दिनों में परिपक्व होती है। इस किस्म के दाने पतले, लंबे और सुगंधित होते हैं जो कम पानी में भी उत्तम उपज देने की क्षमता रखते हैं। यह किस्म विशेष रूप से बिरयानी और पुलाव जैसे व्यंजनों के लिए पसंद की जाती है और इसे अमेरिका, कनाडा तथा यूनाइटेड किंगडम जैसे देशों में निर्यात भी किया जाता है। पूसा सुगंध-5 से किसानों को 50 से 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की उपज मिल सकती है।

स्वर्ण शुष्क

स्वर्ण शुष्क एक ऐसी धान की किस्म है जिसे खास तौर पर कम पानी वाले क्षेत्रों के लिए विकसित किया गया है। यह किस्म रोग और कीटों के प्रतिरोधक क्षमता के साथ आती है और कम ऊंचाई वाली होती है, जो अच्छी पैदावार देने में सक्षम है। स्वर्ण शुष्क धान 110 से 115 दिनों में पककर तैयार हो जाता है और यह 40 से 45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार देता है।

पूसा 834

पूसा 834 बासमती धान की एक ऐसी किस्म है जिसे भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने विकसित किया है। यह किस्म 125 से 130 दिनों में पककर तैयार होती है और इसकी पत्तियों पर झुलसा रोग का प्रभाव कम होता है। पूसा 834 को कम उपजाऊ मिट्टी और कम पानी वाले क्षेत्रों में भी उगाया जा सकता है जिससे किसानों को 60 से 70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की उत्पादन मिलता है।

स्वर्ण पूर्वी धान-1

आईसीएआर पटना द्वारा विकसित, स्वर्ण पूर्वी धान-1 सूखा प्रतिरोधी किस्म है जो खासकर अगेती बुवाई के लिए उपयुक्त है। इस किस्म को कम पानी में भी 115 से 120 दिनों में पक कर तैयार होने वाली धान की यह किस्म 45 से 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के हिसाब से उत्पादन देती है।

स्वर्ण शक्ति

हैदराबाद चावल अनुसंधान निदेशालय द्वारा विकसित स्वर्ण शक्ति धान की किस्म अपनी रोग और कीट प्रतिरोधी क्षमताओं के लिए जानी जाती है। इसके दाने मध्यम और पतले होते हैं और इसका चावल सुगंधित और मीठा होता है। स्वर्ण शक्ति धान प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, आयरन, जिंक और मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्वों से भरपूर होता है और 115 से 120 दिनों में पकने के बाद यह 45 से 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की उपज देता है।