द्रौपदी का चीर हरण वाला सीन करके बुरा फंस गया था ये एक्टर, सेट पर पहुंची पुलिस तो कोर्ट के काटने पड़े थे चक्कर
साल 1987 और 1988 भारतीय टेलीविजन इतिहास के दो ऐसे वर्ष थे, जब दूरदर्शन पर 'रामायण' और 'महाभारत' नामक दो धारावाहिकों ने अपनी अमिट छाप छोड़ी। 'रामायण', जिसे रामानंद सागर ने निर्देशित किया था, रामायण ने अपने अनूठे चित्रण और कथानक के साथ दर्शकों के दिलों में विशेष स्थान बनाया।
इसके तुरंत बाद बीआर चोपड़ा और रवि चोपड़ा की 'महाभारत' ने भी अपनी अनोखी कहानी कहने की शैली से लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। ये दोनों धारावाहिक न केवल लोकप्रिय हुए, बल्कि समय के साथ-साथ एक ऐतिहासिक पहचान भी बन गए। रामायण और महाभारत ने भारतीय टेलीविजन पर अपनी एक अद्वितीय पहचान बनाई।
पुनीत इस्सर की दुर्योधन के रूप में भूमिका उनकी कानूनी मुश्किलें और इससे जुड़े अनूठे किस्से इन सभी ने मिलकर इस कहानी को और भी विशेष बना दिया। ये घटनाएं न केवल हमें मनोरंजन करती हैं, बल्कि यह भी दर्शाती हैं कि कैसे कला और कलाकार अपने समय से कहीं आगे निकल जाते हैं और लोगों के दिलों में अपनी एक खास जगह बना लेते हैं।
कौन है पुनीत इस्सर
महाभारत के दुर्योधन के रूप में पुनीत इस्सर की भूमिका ने उन्हें एक विशेष पहचान दी। चार दशकों से अधिक समय तक हिंदी सिनेमा में सक्रिय रहने के बावजूद उनके द्वारा निभाई गई दुर्योधन की भूमिका ने उन्हें एक अलग पहचान दिलाई। उनका यह किरदार न केवल नकारात्मक था, बल्कि उन्होंने इसे इतनी शिद्दत से निभाया कि लोग आज भी उन्हें इसी रूप में याद करते हैं।
कानूनी मुश्किलों का एक अद्वितीय प्रसंग
यह दिलचस्प है कि पुनीत इस्सर के खिलाफ एक बार गैर जमानती वारंट जारी हुआ था, जो उनके द्वारा निभाई गई दुर्योधन की भूमिका के कारण था। एक व्यक्ति ने धारावाहिक में द्रौपदी के चीरहरण के दृश्य के लिए उनके खिलाफ मुकदमा दायर किया था। यह घटना उस समय के टेलीविजन इतिहास में एक अनूठा प्रसंग बन गई थी।
28 साल बाद खुला केस
पुनीत इस्सर ने बताया कि 28 साल बाद उनके खिलाफ फिर से एक केस खुला, जिसे सुनकर वे हैरान रह गए। वह बनारस पहुंचे। जहां उन्हें पता चला कि केस करने वाले व्यक्ति का असली मकसद सिर्फ उनके साथ एक फोटो खिंचवाना था। यह किस्सा आज भी लोगों को हसने पर मजबूर कर देता है।