इस देश में है दुनिया का सबसे बड़ा डैम, जिसने धरती के घूमने की स्पीड को कर दिया कम

चीन की भूमि पर स्थित थ्री गोर्जेस डैम दुनिया का सबसे बड़ा बांध है, जिसे बनने में पूरे 18 साल का समय लगा। इसकी विशालता और इंजीनियरिंग की उत्कृष्टता ने इसे वैश्विक पहचान दिलाई है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस...
 

चीन की भूमि पर स्थित थ्री गोर्जेस डैम दुनिया का सबसे बड़ा बांध है, जिसे बनने में पूरे 18 साल का समय लगा। इसकी विशालता और इंजीनियरिंग की उत्कृष्टता ने इसे वैश्विक पहचान दिलाई है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस विशाल संरचना की वजह से पृथ्वी के चलने की गति में भी प्रभाव पड़ा है?

थ्री गोर्जेस डैम ने न केवल चीन को बल्कि पूरी दुनिया को यह दिखाया है कि इंजीनियरिंग और तकनीकी उन्नति के जरिए कितनी बड़ी चुनौतियों का सामना किया जा सकता है। हालांकि इसके साथ ही यह याद दिलाता है कि मानव निर्मित चमत्कारों के प्रभावों का सावधानीपूर्वक आकलन किया जाना चाहिए।

विश्व का सबसे बड़ा बांध

थ्री गोर्जेस डैम को इसके आकार और क्षमता के लिए जाना जाता है। 2.3 किलोमीटर लंबाई, 115 मीटर चौड़ाई और 150 मीटर की ऊंचाई के साथ यह बांध अपने आप में एक मिसाल है। इस बांध से 22,400 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है, जो कई शहरों और गांवों को ऊर्जा प्रदान करता है।

पृथ्वी की गति पर प्रभाव

इस बांध के निर्माण में 463,000 टन स्टील का उपयोग किया गया था और इसमें इतना पानी संग्रहित है कि इसके कारण पृथ्वी की चक्कर लगाने की गति में मामूली अंतर आया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इसकी वजह से पृथ्वी की गति में हर दिन 0.06 माइक्रो सेकंड की वृद्धि हुई है।

इंजीनियरिंग का चमत्कार

थ्री गोर्जेस डैम को बनाने के पीछे की तकनीकी विशेषताएं और चुनौतियां इंजीनियरिंग के क्षेत्र में एक बड़ी सफलता को दर्शाती हैं। इस प्रोजेक्ट ने न केवल ऊर्जा उत्पादन में योगदान दिया है बल्कि बाढ़ नियंत्रण और जल मार्ग नेविगेशन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

पारिस्थितिकी और विवाद

हालांकि थ्री गोर्जेस डैम के निर्माण से पर्यावरणीय और सामाजिक परिणाम भी जुड़े हैं। बड़े पैमाने पर विस्थापन और पारिस्थितिकी तंत्र पर इसके प्रभाव को लेकर चिंताएं उठाई गई हैं। फिर भी इस बांध की उत्कृष्टता और उसके द्वारा की गई सकारात्मक योगदान को नकारा नहीं जा सकता।