करोड़ों की दौलत को छोड़ संन्यासी बनने जा रहा है गुजरात का ये कपल, बेटा और बेटी भी ले चुके है दीक्षा

गुजरात के साबरकांठा जिले के हिम्मतनगर के रहने वाले भावेश भाई भंडारी और उनकी पत्नी ने एक बड़ा और अहम निर्णय लिया है। अपनी विशाल संपत्ति और आरामदायक जीवन छोड़कर उन्होंने संन्यास की दिशा में कदम बढ़ाने...
 

गुजरात के साबरकांठा जिले के हिम्मतनगर के रहने वाले भावेश भाई भंडारी और उनकी पत्नी ने एक बड़ा और अहम निर्णय लिया है। अपनी विशाल संपत्ति और आरामदायक जीवन छोड़कर उन्होंने संन्यास की दिशा में कदम बढ़ाने का फैसला किया है।

यह निर्णय उन्होंने न केवल खुद के लिए बल्कि अपने बच्चों के भविष्य के लिए भी लिया है, जिन्होंने पहले ही संन्यास की राह पकड़ ली है। भावेश भाई और उनकी पत्नी ने न केवल अपने लिए बल्कि सम्पूर्ण समाज के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत किया है।

जिससे यह संदेश जाता है कि आध्यात्मिकता और संयम से ही जीवन में सच्ची शांति और संतोष की प्राप्ति संभव है। परिचित दिकुल गांधी ने कहा कि 22 अप्रैल को हिम्मतनगर रिवर फ्रंट पर एक साथ 35 लोग संयमित जीवन में पदार्पण करने जा रहे हैं। 

भंडारी परिवार का संन्यास की ओर कदम

भावेश भाई ने अपनी संपूर्ण संपत्ति जिसकी कीमत करोड़ों में है, दान में दे दी है। इस दान में उनके व्यावसायिक हित और निजी संपत्तियां शामिल हैं। इस असाधारण कदम के पीछे उनका मानना है कि सांसारिक मोह-माया से मुक्त होकर ही वास्तविक शांति और संतोष प्राप्त हो सकता है। जैन धर्म में दीक्षा लेना एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक कदम माना जाता है, जो व्यक्ति को जीवन के गहरे अर्थों से जोड़ता है।

दीक्षा की परंपरा और भावेश भाई की जिम्मेदारियां

दीक्षा के बाद भावेश भाई और उनकी पत्नी अब जैन संन्यासी के रूप में जीवन यापन करेंगे। जिसमें वे भिक्षा मांगकर अपना गुजारा करेंगे और सभी प्रकार के सांसारिक सुखों का त्याग करेंगे। इसमें एयर कंडीशनर, पंखा, मोबाइल फोन जैसी सुविधाओं का परित्याग शामिल है। वे पूरे भारत में नंगे पांव यात्रा करेंगे और धार्मिक कार्यों में समय व्यतीत करेंगे।

समाज में दीक्षा का महत्व और भंडारी परिवार का योगदान

भावेश भाई का यह फैसला साबरकांठा और आसपास के क्षेत्रों में बहुत चर्चा में है। उनकी इस पहल को समाज में उच्च स्तरीय आध्यात्मिक कदम के रूप में देखा जा रहा है। उनकी यह शोभायात्रा जिसमें उन्होंने अपनी सारी संपत्ति दान की लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी है। दान में तकरीबन 200 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति दी गई है। यह घटना उनके गहरे आध्यात्मिक विश्वास और समाज के प्रति उनकी सेवा की भावना को दर्शाती है।