उत्तरप्रदेश के इस जिले की 4 राज्यों से लगती है सीमा, स्विट्जरलैंड ऑफ इंडिया के नाम से है फेमस
भारतीय उपमहाद्वीप की भौगोलिक भिन्नता अपने आप में एक अनोखी दुनिया प्रस्तुत करती है। इसी विविधता के चलते हमें सोनभद्र जैसे अनोखे जिले मिलते हैं, जिसकी सीमाएं चार राज्यों—मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार और झारखंड से मिलती हैं। सोनभद्र न केवल भौगोलिक रूप से विशाल है बल्कि इसकी प्राकृतिक संपदा और खनिज संसाधनों की भरमार इसे और भी खास बनाती है।
पीएम नेहरू की दृष्टि और सोनभद्र का नामकरण
सोनभद्र की अपार प्राकृतिक सुंदरता ने भारत के प्रथम प्रधानमंत्री, पंडित जवाहरलाल नेहरू को इतना प्रभावित किया कि उन्होंने इसे 'स्विट्जरलैंड ऑफ इंडिया' की संज्ञा दी। उनका यह नामकरण सोनभद्र की वादियों और पर्वतमालाओं की अनोखी सौंदर्यता को रेखांकित करता है जो किसी भी प्रकार से स्विट्जरलैंड से कम नहीं है।
सोनभद्र का औद्योगिक और खनिज महत्व
1989 में मिर्जापुर से अलग होकर सोनभद्र जिला बना और यह उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख औद्योगिक केंद्र बन गया। इस क्षेत्र में खनिज पदार्थों का बड़ा भंडार है जिसमें कोयला, डोलोमाइट, और चूना पत्थर प्रमुख हैं। ये संसाधन सोनभद्र को 'एनर्जी कैपिटल ऑफ इंडिया' के रूप में भी पहचान दिलाते हैं क्योंकि यहां कई बिजली उत्पादन संयंत्र स्थित हैं।
सोनभद्र की प्राकृतिक और सांस्कृतिक धरोहर
सोनभद्र न केवल अपने खनिजों के लिए बल्कि अपनी विविध संस्कृति और पारंपरिक विरासत के लिए भी जाना जाता है। यहाँ की सोन नदी और अन्य नदियाँ जैसे कि रिहन्द, कनहर और पांगन इस क्षेत्र की जीवन रेखा हैं और इसकी संस्कृति में गहराई से जुड़ी हुई हैं।
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सोनभद्र तक कैसे पहुंचें
सोनभद्र तक पहुंचने के लिए वाराणसी या मिर्जापुर से सड़क मार्ग का उपयोग करना सबसे सुविधाजनक होता है। ये दोनों शहर सोनभद्र से नजदीकी बड़े शहर हैं और यहाँ से बस या निजी वाहन द्वारा आसानी से सोनभद्र पहुंचा जा सकता है।