बिहार का ये किसान खास नस्ल की मछलियों को पालकर कर रहा बंपर कमाई, हर साल लाखों की कमाई करके हुआ मालामाल

आज मानव जितनी बड़ी मछलियों की खेती बिहार के सबसे बड़े जिले पश्चिम चम्पारण में होती है। लेकिन इससे बड़ी मछलियों की खेती देश के कुछ राज्यों में या फिर विदेश में की जाती है, लेकिन चंपारण के लिए यह बहुत दिलचस्प और अलग है।
 

आज मानव जितनी बड़ी मछलियों की खेती बिहार के सबसे बड़े जिले पश्चिम चम्पारण में होती है। लेकिन इससे बड़ी मछलियों की खेती देश के कुछ राज्यों में या फिर विदेश में की जाती है, लेकिन चंपारण के लिए यह बहुत दिलचस्प और अलग है।

नरकटियागंज प्रखंड के साठी के सम्हौता गांव में रहने वाले आनंद सिंह चंपारण पहले और एकमात्र किसान हैं जिन्होंने साढ़े चार से पांच फीट लंबी मछलियों की खेती की है। आनंद ने कहा कि उनके पास छह मत्स्य पालन तालाब हैं। उक्त सभी तालाबों का क्षेत्रफल लगभग एक एकड़ है।

इन तालाबों में आनंद ने लगभग ग्यारह प्रकार की मछलियों की खेती की है। इनमें प्रॉन के अलावा रेहू, कतला, मृगल, मांगुर, ग्रास कार्प, सिल्वर कार्प, कॉमन कार्प और चार से साढ़े चार फीट के आकार वाली मांसाहारी मछली चितल शामिल हैं।

अबतक उन्होंने साढ़े चार से पांच फीट की चितल मछली खेती की है। जिसकी कीमत 400 से 500 रुपये प्रति किलोग्राम है और वजन 22 किलो है। आनंद ने बताया कि वह चार से पांच महीनों में सभी मछलियों को खाते हैं। वे हर साल लगभग 6 लाख रुपए की लागत से मत्स्य पालन करके 16 से 17 लाख रुपए की कमाई करते हैं।

ऑर्डर पूरा होने पर सभी तालाबों से हार्वेस्ट की गई मछलियां खत्म हो जाती हैं। इसलिए वे इसकी सप्लाई बाहर नहीं कर सकते। गौर करने वाली बात यह है कि वह आसानी से हर साल लगभग सत्तर से आठ क्विंटल मछलियों का उत्पादन करते हैं।