अफ्रीकन नस्ल की इस बकरी का मार्केट में तगड़ा डिमांड, कम खर्चे में डबल कर सकते है कमाई

भारत में छोटे और सीमांत किसानों के बीच बकरी पालन की प्रवृत्ति तेजी से बढ़ रही है। यह विधि उन्हें न केवल अपनी आय बढ़ाने का मौका देती है बल्कि धीरे-धीरे एक लाभकारी व्यवसाय का रूप भी ले रही है।
 

भारत में छोटे और सीमांत किसानों के बीच बकरी पालन की प्रवृत्ति तेजी से बढ़ रही है। यह विधि उन्हें न केवल अपनी आय बढ़ाने का मौका देती है बल्कि धीरे-धीरे एक लाभकारी व्यवसाय का रूप भी ले रही है। इस प्रक्रिया को बढ़ावा देने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें भी अग्रसर हैं। विभिन्न राज्यों में किसानों को बकरी पालन के लिए बंपर सब्सिडी दी जा रही है जिससे इस क्षेत्र में नई संभावनाएं उजागर हो रही हैं।

अफ्रीकन बोअर बकरी

अफ्रीकन बोअर बकरी जिसे विशेष रूप से इसकी गुणवत्ता और उत्पादकता के लिए जाना जाता है भारतीय किसानों के लिए नया वरदान साबित हो रही है। इस नस्ल की बकरियां न केवल भारी होती हैं बल्कि उनका मांस बाजार में उच्च दर पर बिकता है। एक वयस्क नर बकरी का वजन 110 से 135 किलो तक होता है जबकि मादा बकरी का वजन 90 से 100 किलो के बीच होता है। इसकी मार्केट डिमांड बहुत अधिक है जिससे किसानों को ज्यादा आय मिल सके।

विशेषताएं जो बनाती हैं इसे खास

अफ्रीकन बोअर बकरी की खूबियां सिर्फ इसके वजन तक सीमित नहीं हैं। इसकी सुंदरता भी निहारने लायक है। इसकी त्वचा सफेद और सर व गर्दन लाल होते हैं जिससे यह देखने में बहुत आकर्षक लगती है। इसके लंबे कान जो नीचे की ओर लटके रहते हैं, इसे और भी विशेष बनाते हैं। महाराष्ट्र के पुणे और कोल्हापुर में किसानों द्वारा इसका पालन किया जा रहा है और इसके मांस की सप्लाई बड़े होटलों तक होती है।

सरगुजा में अफ्रीकन बोअर नस्ल की बकरी का विकास

छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में पशुपालन विभाग ने अफ्रीकी बोअर नस्ल के बकरी के सीमेन का आयात किया है ताकि जिले में बकरी पालन की दिशा में नई क्रांति लाई जा सके। यहां के आदिवासी क्षेत्रों में इस नस्ल के पालन से बकरी प्रजनन और उत्पादकता में उल्लेखनीय बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। डॉ. चंदू मिश्रा के अनुसार, इस नस्ल की बकरियां मजबूत होती हैं और तेजी से बढ़ती हैं जिससे किसानों की आय में काफी बढ़ोतरी हो सकती है।