Today Onion Price: कड़ाके की ठंड पड़ते ही धड़ाम से गिरी प्याज की कीमतें, नया रेट सुनते ही खरीदारी करने में जुटे लोग

प्याज निर्यात पर लगे प्रतिबंध को केंद्र सरकार हटा सकती है। इसकी कीमतों में गिरावट को देखते हुए, इस पर जल्द ही निर्णय लिया जा सकता है। इसी सप्ताह समीक्षा बैठक होने की उम्मीद है।
 

प्याज निर्यात पर लगे प्रतिबंध को केंद्र सरकार हटा सकती है। इसकी कीमतों में गिरावट को देखते हुए, इस पर जल्द ही निर्णय लिया जा सकता है। इसी सप्ताह समीक्षा बैठक होने की उम्मीद है। देश में प्याज उत्पादन में गिरावट आने और तीन महीने में प्याज की कीमत दोगुनी से अधिक होने के बाद सरकार ने आठ दिसंबर को प्याज के निर्यात पर 31 मार्च 2024 तक के लिए रोक लगाई थी।

मामले से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि पिछले दस दिनों में खरीफ प्याज की आवक बढ़ी है। बजारों में हर दिन 15000 क्विंटल से अधिक की आवक है। प्याज का मूल्य लगभग 20% घटकर 1,870 रुपए प्रति क्विंटल से 1500 रुपए पर आ गया है, क्योंकि आवक बढ़ा है।

दाम पिछले महीने की तुलना में लगभग 35% गिरे हैं। इससे घरेलू मूल्य भी घट गए हैं। यह देखते हुए सरकार प्रतिबंध की घोषणा पर पुनर्विचार करेगी। कोऑपरेटिव के माध्यम से सरकार निर्यात की अनुमति दे सकती है।

रियायती दर पर बिक्री होगी

अधिकारियों ने कहा कि सरकार कीमतों में गिरावट के बावजूद घरेलू बाजार में रियायती बिक्री करेगी। साथ ही ABCF, साथ ही, नेफेड सहित अन्य कोऑपरेटिव से लगातार खरीद जारी है। सरकार ने अब तक 25000 टन खरीदकर घरेलू उपलब्धता सुनिश्चित की है।

27.58 फीसद सस्ता हुआ प्याज

सरकार ने नेफेड और एनसीसीएफ के माध्यम से बफर स्टॉक में पड़े पांच लाख टन रबी प्याज में से 3.04 लाख टन को बाजार में उतारा है। इस कदम के चलते प्याज की अखिल भारतीय औसत खुदरा कीमत एक महीने पहले की तुलना में 27.58 प्रतिशत गिरकर 42 रुपये प्रति किलोग्राम रह गई है। 1 जनवरी 2024 को देश भर में प्याज का मॉडल मूल्य 30 रुपये था और औसत मूल्य 39.50 रुपये था।

सरकार ने उठाए थे ये कदम

17 अगस्त को प्याज निर्यात पर 40 प्रतिशत की ड्यूटी लगाई गई। सरकार ने पहली बार इतनी बड़ी ड्यूटी लगाई। अबतक, बफर स्टॉक में 25,000 टन प्याज खरीदा गया है। बफर स्टॉक को बचाने, घरेलू उपलब्धता को बढ़ाने और कीमतों को नियंत्रित करने के लिए प्याज खरीद रही है। व्यापार वर्ष 2022–2023 के लिए बफर स्टॉक लक्ष्य को सात लाख टन कर दिया गया है, जबकि वास्तविक स्टॉक पिछले वर्ष तीन लाख टन था।