अनोखी लाइब्रेरी जहां से मुफ्त में घर ले जाए किताबें, लाइब्रेरी में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स को मुफ्त में मिलता है नाश्ता और खाना

वैसे भी भारत में साक्षरता दर लगातार बढ़ रही है। नई पीढ़ी में उच्च शिक्षा की ओर अधिक रुझान है, लेकिन धन की कमी के कारण बहुत से विद्यार्थी इसे जारी नहीं कर पाते हैं। यही कारण है कि देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर में...
 

वैसे भी भारत में साक्षरता दर लगातार बढ़ रही है। नई पीढ़ी में उच्च शिक्षा की ओर अधिक रुझान है, लेकिन धन की कमी के कारण बहुत से विद्यार्थी इसे जारी नहीं कर पाते हैं। यही कारण है कि देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर में ऐसे विद्यार्थियों को पढ़ाया जाना जारी रखने और उनमें ज्ञान का दीपक जलाए रखने की बड़ी पहल की गई है। शहर में विद्यार्थियों को मुफ्त शिक्षा देने वाले लाइब्रेरी खोले गए हैं।

यानी विद्यार्थी जो अपना अध्ययन जारी रखना चाहते हैं, बिना किसी शुल्क के यहां अपने सब्जेक्ट की किताबें पढ़ सकते हैं। यही नहीं, आप बेहतर पढ़ाई के लिए ये किताबें फ्री में घर ले जा सकते हैं। शहर में कुछ लाइब्रेरी भी हैं जहां विद्यार्थियों को कंप्यूटर, इंटरनेट और खाना भी मिलता है। ताकि विद्यार्थियों का ध्यान सिर्फ उनकी पढ़ाई पर रहे।

24 घंटे खुली रहने वाली लाइब्रेरी

ये विशिष्ट पुस्तकालय हर दिन 24 घंटे और 365 दिन खुला रहता है। यहां विद्यार्थी किताबें किसी भी समय पढ़ सकते हैं। यही नहीं, विद्यार्थी इन किताबों को घर ले जा सकते हैं। इस लाइब्रेरी में हर समय लोग आते रहते हैं। यहां विद्यार्थी दिन में पढ़ने आते हैं, जबकि पत्रकार, साहित्यकार और पुलिसकर्मी रात में ज्ञान प्राप्त करने आते हैं।

भोजन के साथ चाय नाश्ता वो भी फ्री

रूपांकन संस्था के अशोक दुबे ने बताया कि इस पुस्तकालय की एक विशेषता यह है कि छात्रों को एक समय का निशुल्क भोजन भी मिलता है, जबकि रात को आने वालों को निशुल्क चाय और नाश्ता भी मिलता है, ताकि विद्यार्थियों को पढ़ाई में कोई परेशानी न हो।

किताबों की नही होती निगरानी

करीब आठ वर्ष पहले, राधेश्याम माहेश्वरी ने इस पुस्तकालय की शुरुआत की थी। पहले उन्होंने सड़क के किनारे एक अलमीरा खरीदा और उसी में एक पुस्तकालय बनाया। अब तक राधेश्याम ने पांच सौ हजार से अधिक किताबें पढ़ने के लिए दी हैं। उन पुस्तकों को पढ़कर कई बच्चों ने प्रतियोगी परिक्षाएं भी पास की हैं।

यहां विद्यार्थी अपनी जरूरत के अनुसार किताबें लेकर पढ़ सकते हैं और आवश्यकता होने पर उन्हें अपने साथ रख सकते हैं। ये लाइबेरियां राधेश्याम माहेश्वरी शहर के अन्य स्थानों में बनाई गई हैं, जैसे पीडब्ल्युटी कैंपस, सुदामा नगर, वंदना नगर।

राधेश्याम माहेश्वरी बताते हैं कि उन्हें बचपन से ही बहुत पढ़ना अच्छा लगता था। उनकी इसी रुचि ने उन्हें जीवन की सही राह दिखाई है। यही कारण है कि वे आज की पीढ़ी को किताबें पढ़ने के लिए प्रेरित करने के लिए इस तरह की खुली लाइब्रेरी की शुरुआत की हैं।

मोहल्ला लाइब्रेरी में मुफ्त पढ़ने की व्यवस्था

आपको बता दें कि राधेश्याम माहेश्वरी ने शहर के परदेशीपुरा इलाके में शुरू की गई मोहल्ला लाइब्रेरी का शुभारंभ हाल ही में महिला एवं बाल विकास के ज्वाइंट डायरेक्टर राजेश मेहरा ने किया है। विशेष रूप से, उन्होंने इस लाइब्रेरी की शुरुआत गरीब बस्तियों के बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के लिए की है।

लाइब्रेरी में चार हजार किताबें हैं और करीब सत्तर लोगों के बैठने के लिए अलग व्यवस्था है। बच्चों को उत्साहित करने के लिए उन्हें हर दिन कुछ पुरस्कार भी दिए जाते हैं। लाइब्रेरी स्थापित करने का उद्देश्य, राजेश मेहरा ने बताया, लोगों को मोबाइल फोन से किताबों की ओर आकर्षित करना है।

दरअसल, परदेशीपुरा में कई गरीब गाँव हैं। यंहा के घरों का आकार छोटा होने के कारण बच्चों को घर पर पढ़ाई करना मुश्किल होता है। लाइब्रेरी की मदद से उन्हें पढ़ना आसान होगा।