यूपी के इस शख्स ने छत पर गमलों में उगा दिए 250 किलो टमाटर, दिखाई दरियादिली और पड़ोसियों से लेकर मोहल्ले वालों की कर दी मौज
जैसे की आप जानते है देश में इन दिनों टमाटर की किमत आसमान को छु रही हैं। सब्जी में टमाटर न होने से खाने का स्वाद भी फीका सा लगने लगा है, लेकिन यूपी के एक ऐसे शख्स हैं जिनके टमाटर की महंगाई से कोई मतलब नहीं है।
दिन-प्रतिदिन लाल हो रहे टमाटर का इंतजाम उन्होंने अपने घर पर ही कर लिया है। लखनऊ के गोमती नगर में रहने वाले वीके पाण्डेय ने अपने घर की छत और बालकनी में ही टमाटर उगा लिए। उन्होंने अपने ही घर की छत लगऔर बालकनी में टमाटर उगा दिए।
वीके पांडे पेस्टिसाइड कंपनी में जॉब करते हैं। गोमतीनगर के विनय खंड में उनका दो मंजिला मकान है। उन्हें बचपन से ही गार्डनिंग का शौक था। उन्होंने अपनी बालकनी में ढेर सारउसेगमले लगाए। इसके बाद उन गमलों में सब्जियां उगाने लगे। उसी में टमाटर भी उगा दिए।
दाम ज्यादा होने से पहले ही उगाने शुरू कर दिए टमाटर
वीके पांडे पहले ही आाभास हो गया था कि टमाटर के दाम बढ़ गए हैं। इन्होंने पहले ही करीब 50 से 60 टमाटर के पौधे गमलों में लगा दिए। टमाटर उगाना शुरू कर दिया। ये देख उनके एक पड़ोसी ने भी अपनी 600 स्क्वायर फीट जगह उनको टमाटर उगाने के लिए दे दी।
जिसका लाभ उन्हें जल्द ही मिलना शुरू हो गया। वीके पांडेय ने बताया, "मैंने पहले से ही टमाटर उगाने शुरू कर दिए थे। फिर टमाटर के दाम बढ़ गए। मैं तब तक इतने टमाटर उगा चुका था कि मैंने खुद भी टमाटर खाए और अपने पड़ोसियों को भी टमाटर दिए।"
सर्दियों में गुनगुनाहट, गर्मियों में ठंडक का एहसास
छत पर बड़ी संख्या में गमले होने की वजह से मौसम की मार से भी बचाव होता है। गर्मियों में जब घरों की छतें तपने लगती हैं। पंखे गर्म हवा फेंकते हैं तब वीके पाण्डेय के घर में ठंडक रहती है। इसी तरह कड़ाके की ठंड में हल्की गुनगुनाहट रहती है। इससे एसी, कूलर के खर्च में भी बचत हो रही है।
वीके पांडे ने अपन बालकनी और छत पर टमाटर के अलावा नींबू, चबूतरा जैसे पौधे भी लगा रखे हैं। मगर इस बार टमाटर की उनके यहां काफी पैदावार हुई। वीके पांडे के मुताबिक, इस बार करीब ढाई क्विंटल टमाटर पैदा हुआ है, जिसको उन्होंने खुद भी इस्तेमाल किया है और अपने पड़ोसियों को भी दिया है।