स्पीड से दौड़ रही ट्रेन को रोकने के लिए क्या करता है लोकोपायलट, सच्चाई जानकर तो आपको भी हो सकता है तज्जूब

भारतीय रेलवे की बात की जाए तो देश भर में 12,000 से अधिक ट्रेनें हर दिन चलाई जाती हैं। इनमें उच्च गति वाली वंदेभारत, शताब्दी, राजधानी से लेकर साधारण पैसेंजर ट्रेनें शामिल हैं
 

भारतीय रेलवे की बात की जाए तो देश भर में 12,000 से अधिक ट्रेनें हर दिन चलाई जाती हैं। इनमें उच्च गति वाली वंदेभारत, शताब्दी, राजधानी से लेकर साधारण पैसेंजर ट्रेनें शामिल हैं जिनकी स्पीड 160 किमी प्रति घंटे से लेकर 90 किमी प्रति घंटे तक होती है। इतनी बड़ी संख्या में ट्रेनों का संचालन भारतीय रेलवे की व्यापकता और क्षमता के बारे में बताती है।

ट्रेन की स्पीड और ब्रेकिंग सिस्टम

अक्सर यात्री यह सवाल करते हैं कि जब ट्रेन अपनी पूर्ण गति पर दौड़ रही होती है तो उसे रोकने के लिए कितनी दूरी से ब्रेक लगाना आवश्यक होता है। इस सवाल का जवाब देते हुए रेलवे बोर्ड के रिटायर मेंबर इंफ्रास्ट्रक्चर, प्रदीप कुमार के अनुसार ट्रेनों में साधारण वाहनों की तरह पावर ब्रेक नहीं होते हैं। ट्रेन की स्पीड को सुरक्षित रूप से नियंत्रित करने के लिए उसे रोकने की प्रक्रिया काफी पहले से शुरू करनी पड़ती है।

हाई स्पीड सेक्शन और ट्रेनों का संचालन

देश में कुछ विशेष सेक्शन हैं जहां ट्रेनें 160 किमी. की गति से दौड़ सकती हैं। ऐसा एक सेक्शन दिल्ली से आगरा के बीच है जहां ट्रेनें इस अधिकतम गति को प्राप्त कर सकती हैं। अन्य ट्रैक्स पर ट्रेनें 130 किमी. से लेकर 90 किमी. प्रति घंटे की गति से चलाई जाती हैं।

ब्रेकिंग सीस्टम और सुरक्षा

यदि ट्रेन 130 किमी. प्रति घंटे की गति से चल रही है, तो लोकोपायलट को कम से कम 1.2 किमी. पहले ब्रेक लगाना होता है ताकि ट्रेन बिना किसी झटके के और सुरक्षित रूप से रुक सके। यह दूरी ट्रेन की गति और मौसम की स्थिति के आधार पर भिन्न हो सकती है। इसी प्रकार, कर्व पर ट्रेनों की गति को कम करने के लिए भी ब्रेकिंग की प्रक्रिया जल्दी शुरू करनी पड़ती है।