पटरियों पर किनारों पर लगे इन बॉक्स का क्या होता है काम, यात्रियों की जान बचाने में निभाते है खास भूमिका

भारतीय रेलवे, जिसे देश की जीवन रेखा माना जाता है, हर दिन करोड़ों यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुँचाती है। यात्रियों की इस भीड़ के बीच अनेकों ऐसी जानकारियाँ हैं जो आमतौर पर बिना जानकारी के रह जाती हैं।
 

भारतीय रेलवे, जिसे देश की जीवन रेखा माना जाता है, हर दिन करोड़ों यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुँचाती है। यात्रियों की इस भीड़ के बीच अनेकों ऐसी जानकारियाँ हैं जो आमतौर पर बिना जानकारी के रह जाती हैं। आज हम रेलवे पटरी से जुड़े कुछ ऐसे ही रोचक तथ्यों की चर्चा करेंगे।

रेलवे पटरी के किनारे के रहस्यमय बॉक्स

अक्सर यात्रा के दौरान आपने पटरी के किनारे नजर आने वाले बॉक्सों को देखा होगा जिन्हें एक्सेल काउंटर बॉक्स कहा जाता है। ये बॉक्स ट्रेन की स्पीड और दिशा की जानकारी दर्ज करते हैं और इसे आगे के नियंत्रण कक्ष तक भेजते हैं जिससे रेलवे के संचालन में सुधार होता है।

पटरी बदलने का अद्भुत तंत्र

जब भी ट्रेन को पटरी बदलनी होती है इसके लिए टेक्निकली स्विच का उपयोग किया जाता है जिसमें लेफ्ट और राइट स्विच होते हैं। इस तंत्र के माध्यम से ट्रेन आसानी से अपनी दिशा बदल सकती है जिससे यात्रा और भी सुविधाजनक और सुरक्षित हो जाती है।

पटरी के बीच की सटीक दूरी

दुनियाभर में रेलवे पटरियों की बीच की दूरी मानकीकृत होती है। लगभग 60% रेलवे पटरियां 4 फीट 8.5 इंच की दूरी पर स्थापित की जाती हैं। इस मानकीकरण से ट्रेनों के संचालन में एकरूपता और सुविधा मिलती है।

पटरी पर पत्थरों का महत्व

रेल पटरियों के बीच में बिछाए गए पत्थरों का मुख्य उद्देश्य ट्रेन के भारी वजन को संभालना और वाइब्रेशन को कम करना है। ये पत्थर पानी के निकास को भी सुनिश्चित करते हैं और पटरियों को स्थिर रखने में मदद करते हैं।

भारत का सबसे लंबा रेलवे रूट

भारत में सबसे लंबा रेलवे रूट असम के डिब्रूगढ़ से तमिलनाडु के कन्याकुमारी तक है। यह रूट भारतीय रेलवे के सबसे लंबे मार्गों में से एक है जो देश की विविधता और विशालता को दर्शाता है।