देश में एक व्यक्ति की जमीन खरीदने की कितनी है लिमिट, जाने क्या कहता है कानून

भारतीय समाज में निवेश (Investment) और बचत (Savings) की प्रवृत्ति गहराई से निहित है। इसमें सोना (Gold) और संपत्ति (Property) दोनों ही निवेश के प्रमुख माध्यम रहे हैं। विशेष रूप से, जमीन खरीदना....
 

भारतीय समाज में निवेश (Investment) और बचत (Savings) की प्रवृत्ति गहराई से निहित है। इसमें सोना (Gold) और संपत्ति (Property) दोनों ही निवेश के प्रमुख माध्यम रहे हैं। विशेष रूप से, जमीन खरीदना (Land Purchase) न केवल एक सुरक्षित निवेश माना जाता है बल्कि यह समय के साथ उसकी कीमत में वृद्धि का भी वादा करता है।

भारत में संपत्ति खरीदने के नियमों की विविधता (Diversity) उसके विविध कानूनी और सामाजिक ढांचे को दर्शाती है। निवेशकों और खरीदारों के लिए इन नियमों का ज्ञान होना न केवल उपयोगी है बल्कि उनके निवेश को सुरक्षित (Secure Investment) भी बनाता है। अतः, जमीन खरीदते समय संबंधित राज्य के कानूनों (State Laws) की जानकारी होना अत्यंत आवश्यक है।

कृषि भूमि खरीदने की नीति

हालांकि, भारत में कृषि योग्य भूमि (Agricultural Land) खरीदने पर कुछ प्रतिबंध हैं। ये प्रतिबंध विभिन्न राज्यों (States) के अनुसार अलग-अलग होते हैं और पूरे देश में इसके लिए एक समान कानून (Uniform Law) नहीं है। यह तथ्य खासकर उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो खेती के उद्देश्य से जमीन खरीदने की सोच रहे हैं।

राज्यों के अनुसार भूमि खरीदने की अधिकतम सीमा

जमींदारी प्रथा (Zamindari System) के उन्मूलन के बाद, राज्य सरकारों ने भूमि खरीदने की अधिकतम सीमा (Maximum Limit) तय की है। उदाहरण के लिए, केरल में एक व्यक्ति 7.5 एकड़ तक, जबकि पांच सदस्यों वाला परिवार 15 एकड़ तक जमीन खरीद सकता है। महाराष्ट्र और कर्नाटक में, खेती योग्य भूमि केवल उन्हीं व्यक्तियों द्वारा खरीदी जा सकती है जो पहले से ही खेती में संलग्न हैं, जहां अधिकतम सीमा क्रमशः 54 एकड़ और 54 एकड़ है।

एग्रीकल्चरल लैंड खरीदने में प्रतिबंध

विदेशी नागरिक (NRI and OCI) और ओवरसीज सिटीजन भारत में खेती योग्य जमीन नहीं खरीद सकते हैं। यह प्रतिबंध उन्हें फार्म हाउस (Farmhouse) या प्लांटेशन प्रॉपर्टी (Plantation Property) खरीदने से भी रोकता है, हालांकि विरासत (Inheritance) के जरिए उन्हें जमीन मिल सकती है।

निवेश और उत्तराधिकार में महत्वपूर्ण

भारत में जमीन खरीदने की सीमा तय करने का मुख्य उद्देश्य भूमि के संवितरण (Land Distribution) को नियंत्रित करना और खेती के लिए उपयुक्त भूमि का संरक्षण (Conservation) करना है। इससे बड़े पैमाने पर भूमि अधिग्रहण (Land Acquisition) और जमींदारी प्रथा की पुनरावृत्ति को रोकने में मदद मिलती है।