रेंट पर मकान देते वक्त रेंट एग्रीमेंट के साथ बनवा ले ये कागज, आपकी प्रॉपर्टी पर कब्जा नही कर पाएगा किरायेदार
भारतीय शहरों में मकान मालिक और किरायेदार के बीच विवाद आम बात है खासकर जब बात संपत्ति के कब्जे की आती है। इस तरह के विवादों से बचने के लिए मकान मालिकों ने रेंट एग्रीमेंट का सहारा लिया है जिससे कानूनी रूप से संपत्ति पर उनका अधिकार सुरक्षित रहता है।
फिर भी कई मामलों में यह देखा गया है कि किरायेदारों ने मकान पर कब्जा करने की कोशिश की जिससे विवाद गहराता गया।
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लीज एंड लाइसेंस एग्रीमेंट की नई व्यवस्था
प्रॉपर्टी विवादों में वृद्धि को देखते हुए अब मकान मालिकों ने रेंट एग्रीमेंट से एक कदम आगे बढ़कर ‘लीज एंड लाइसेंस’ एग्रीमेंट की ओर रुख किया है। इस एग्रीमेंट में भी किराए की बुनियादी शर्तें तो समान रहती हैं।
परंतु इसमें कुछ खास क्लॉज जोड़े जाते हैं जो किरायेदार के कब्जे की संभावनाओं को कम करते हैं। प्रॉपर्टी एक्सपर्ट प्रदीप मिश्रा के अनुसार यह एग्रीमेंट किरायेदार की किसी भी दावेदारी को पूरी तरह खारिज कर देने में सक्षम है।
मकान मालिकों के हितों की सुरक्षा
लीज एंड लाइसेंस एग्रीमेंट में स्पष्ट रूप से मकान मालिक के हितों को प्राथमिकता दी जाती है। इस डोकोमैंट के जरिए यह सुनिश्चित किया जाता है कि संपत्ति का मालिकाना हक मकान मालिक के पास ही रहे।
इसमें विशेष रूप से यह दर्ज किया जाता है कि संपत्ति मकान मालिक द्वारा किरायेदार को केवल नियत समय के लिए और निश्चित उद्देश्य के लिए दी जा रही है।
रेंट और लीज एग्रीमेंट की तुलना में अंतर
रेंट एग्रीमेंट आमतौर पर 11 महीने की अवधि के लिए होता है और इसका उपयोग अधिकतर रिहाइशी संपत्तियों के लिए किया जाता है जबकि लीज एग्रीमेंट 12 महीने या उससे अधिक समय के लिए होता है।
इसे कॉमर्शियल प्रॉपर्टीज के लिए अधिक इस्तेमाल किया जाता है। लीज एंड लाइसेंस एग्रीमेंट को कम से कम 10 दिन से लेकर 10 साल तक की अवधि के लिए बनाया जा सकता है जिससे यह अधिक लचीला और व्यापक होता है।
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किस डोकोमैंट का चयन करें?
चयन के लिए लीज एंड लाइसेंस एग्रीमेंट बेहतर विकल्प है क्योंकि इसमें किरायेदार द्वारा संपत्ति पर कब्जा करने की संभावना को कम किया जाता है। यह डोकोमैंट दोनों पक्षों के बीच स्पष्टता प्रदान करता है और मकान मालिक के हितों की सुरक्षा करता है जिससे भविष्य में किसी भी प्रकार के विवाद से बचा जा सकता है।