मुगल बादशाह सैनिकों से ज्यादा किन्नरों पर क्यों करते थे भरोसा, रानियों से भरे हरम में किन्नर दिनरात करते थे ये काम

भारतीय इतिहास में मुगल शासन एक स्वर्णिम युग के रूप में जाना जाता है। जहां वास्तुकला, संस्कृति और साहित्य ने नई उंचाइयों को छुआ। हालांकि इस शासनकाल के कुछ पहलु ऐसे भी हैं, जिन पर अक्सर चर्चा नहीं होती।
 

भारतीय इतिहास में मुगल शासन एक स्वर्णिम युग के रूप में जाना जाता है। जहां वास्तुकला, संस्कृति और साहित्य ने नई उंचाइयों को छुआ। हालांकि इस शासनकाल के कुछ पहलु ऐसे भी हैं, जिन पर अक्सर चर्चा नहीं होती। इनमें से एक है किन्नरों की दरबार में उपस्थिति और उनकी भूमिका।

मुगल दरबार में किन्नरों की उपस्थिति और उनके योगदान को समझना हमें इतिहास के उन पहलुओं से अवगत कराता है, जो अक्सर अनदेखे या अनसुने रह जाते हैं। यह इतिहास के उस अध्याय को भी प्रकाश में लाता है।

जहां समाज के हाशिए पर रहने वाले समूहों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। मुगल शासन में किन्नरों की भूमिका उस समय की समावेशिता और विविधता को दर्शाती है, जिसे आज भी याद किया जाता है

किन्नरों का दरबार में विशेष स्थान

मुगल शासन में किन्नरों को अत्यंत महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपी गई थीं। इतिहासकार रूबी लाल के अनुसार अकबर के शासनकाल में किन्नर समाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थे। उन्होंने हरम के विभिन्न हिस्सों की सुरक्षा संभाली थी और यह उन्हीं पर निर्भर करता था कि किसे हरम में प्रवेश की अनुमति दी जाए।

किन्नर होते थे हरम के प्रहरी

मुगलों के शासन में किन्नरों को रानियों और हरम की महिलाओं की सुरक्षा का विशेष कार्य सौंपा गया था। उनकी भूमिका सिर्फ सुरक्षा तक सीमित नहीं थी, बल्कि वे साम्राज्य के संचालन में भी एक महत्वपूर्ण भाग थे। इन किन्नरों को शारीरिक रूप से मजबूत और विश्वसनीय माना जाता था, इसलिए उन्हें हरम की सुरक्षा का जिम्मा दिया गया था।

ख्वाजासरा दरबार के विशेष सदस्य

दरबार में रहने वाले किन्नरों को 'ख्वाजासरा' के नाम से जाना जाता था। ये ख्वाजासरा न केवल हथियार चलाने में निपुण थे बल्कि घोड़े चलाने में भी पारंगत थे। उन्हें हर तरह की सुविधाएं प्रदान की जाती थीं और उनका मुख्य कार्य रानियों और हरम की अन्य महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना था।

किन्नरों की भूमिका का महत्व

मुगल सम्राटों द्वारा किन्नरों को दरबार में रखने का मुख्य कारण उनकी विश्वसनीयता और सुरक्षा की गारंटी थी। मुगल शासकों का मानना था कि किन्नरों की उपस्थिति से हरम की महिलाओं को कोई खतरा नहीं होगा, जो कि साम्राज्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण था। इस तरह किन्नरों ने मुगल शासन काल में एक अनिवार्य और सम्मानजनक भूमिका निभाई।