फ्यूल से भरी टंकी होने पर लैंडिंग क्यों नही करते पायलट, इस तरीके से निकालते है एक्स्ट्रा फ्यूल

क्या आप जानते हैं कि हवाई जहाज जब लैंडिंग करते हैं, तो उनका फ्यूल टैंक पूरा भरा हुआ नहीं होता? इस व्यवस्था का कारण यह है कि अधिक ईंधन वजन को बढ़ाता है। जिससे लैंडिंग के दौरान जहाज पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है।
 

क्या आप जानते हैं कि हवाई जहाज जब लैंडिंग करते हैं, तो उनका फ्यूल टैंक पूरा भरा हुआ नहीं होता? इस व्यवस्था का कारण यह है कि अधिक ईंधन वजन को बढ़ाता है। जिससे लैंडिंग के दौरान जहाज पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है। इस दबाव से हवाई जहाज के ढांचे खासकर लैंडिंग गियर पर बहुत ज्यादा तनाव पड़ता है, जो कि सुरक्षित लैंडिंग के लिए अनुकूल नहीं होता।

इन सब जानकारियों से स्पष्ट है कि हवाई जहाज की लैंडिंग प्रक्रिया में फ्यूल मैनेजमेंट एक महत्वपूर्ण कदम है। जिसे सख्ती से पालन किया जाता है ताकि उड़ान को और अधिक सुरक्षित बनाया जा सके।

फ्यूल डम्पिंग का महत्व

अगर किसी कारण से हवाई जहाज का फ्यूल टैंक भरा हुआ होता है और लैंडिंग करना जरूरी हो जाए, तो पायलटों को कभी-कभी फ्यूल डम्प करना पड़ता है। इस प्रक्रिया को 'फ्यूल जेटिसन' कहते हैं। इसके द्वारा हवाई जहाज से अतिरिक्त ईंधन को जल्दी से बाहर निकाला जाता है।

ताकि हवाई जहाज हल्का हो जाए और लैंडिंग सुरक्षित रूप से की जा सके। यह प्रक्रिया तब और भी महत्वपूर्ण हो जाती है जब हवाई जहाज को आपातकालीन स्थितियों में लैंड करना पड़े।

विशेषज्ञों की राय और सुरक्षा उपाय

हवाई जहाज संरचना और उड़ान सुरक्षा पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों का कहना है कि हवाई जहाजों को हमेशा हल्के वजन के साथ लैंड करना चाहिए। एंथोनी ब्रिकहाउस जो कि एम्ब्री-रिडिल एरोनॉटिकल यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफेसर हैं उनका कहना है कि हवाई जहाजों का डिजाइन इस तरह का होता है कि वे कम वजन के साथ लैंड कर सकें। क्योंकि भारी वजन से हवाई जहाज के नुकसान का जोखिम बढ़ जाता है।

किन स्थितियों में की जाती है फ्यूल डम्पिंग

कभी-कभार जब हवाई जहाज को अप्रत्याशित रूप से और जल्दी लैंड करना पड़ता है। पायलटों को तत्काल फ्यूल डम्प करने की जरूरत पड़ती है। इसे हवाई जहाज में उपलब्ध एक विशेष बटन द्वारा सक्रिय किया जा सकता है जो तेजी से फ्यूल डिस्चार्ज करता है। यह प्रक्रिया हवाई जहाज के संरचनात्मक अखंडता की रक्षा करती है और यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करती है।