लड़कियाँ या शादीशुदा महिलायें पैरों में क्यों नही पहनती सोने की पायल, महिलाओं के सोलह श्रृंगार में बताई है चौंका देने वाली वजह
लखनऊः क्या आपने कभी सोचा है कि लड़कियां और महिलाएं पैरों में चांदी की ही पायल क्यों पहनती हैं. सोने की क्यों नहीं पहनती?..इसके पीछे के कारण जानकर आप हैरान हो जाएंगे. इसके पीछे की असली वजह जानने के लिए जब न्यूज18 लोकल लखनऊ के सबसे बड़े सर्राफा बाजार चौक पहुंचा तो यहां पर विनोद ज्वेलर्स के मालिक विनोद माहेश्वरी ने बताया कि पायल पैरों में पहने जाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. इसके पीछे वजह यह है कि चांदी ठंडी होती है जबकि सोना गर्म होता है.
चांदी पैरों के जरिए ठंडक को सिर और शरीर के दूसरे हिस्से तक पहुंचाती है. चांदी में चंद्रमा का वास होता है जबकि सोने में लक्ष्मी मां का वास होता है. ऐसे में लक्ष्मी को कभी भी पैरों में नहीं पहना जाता .इससे धन की हानि होती है. जबकि ज्योतिषाचार्य राकेश पांडेय ने बताया कि सोने को लक्ष्मी जी से जोड़ा गया है. जबकि चांदी को चंद्रमा से. ऐसे में लक्ष्मी को पैरों में नहीं पहना जा सकता. ऐसा करने वालों को धन हानि होती है. इसीलिए सोने की पायल नहीं पहनी जाती है.
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स्त्रियों की सोलह श्रृंगार
चांदी की पायल हमेशा पहनी जाती है. उन्होंने बताया कि महिलाओं और स्त्रियों की सोलह श्रृंगार का जो वर्णन हिंदू धर्म में किया गया है. उसमें कमर के नीचे चांदी और कमर के ऊपर सोना पहनने की ही बात लिखी गई है. उन्होंने बताया कि चांदी खून का प्रवाह भी शरीर में सही करती है.
हड्डियों को मजबूत भी करती है. पैरों में अगर किसी के सूजन रहती है तो चांदी पैरों में पहनने से सही हो जाती है. खासतौर पर अगर महिलाएं चांदी पैरों में पहनती हैं तो स्त्री संबंधित रोग जैसे हार्मोनल असंतुलित होना जैसी दिक्कतें नहीं होती हैं.
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गुरु बृहस्पति देव का भी है सोना
राजकुमार माहेश्वरी और ज्योतिषाचार्य राकेश पांडेय ने बताया कि सोना पीला होता है जो कि गुरु बृहस्पति देव से भी जोड़ा गया है. ऐसे में बृहस्पति भगवान से संबंधित कोई भी चीज पैरों में नहीं पहनी जाती है. इससे बुद्धि के साथ ही धन भी हानि होती है.