रविवार के दिन ही क्यों होती है छुट्टी, शनिवार या सोमवार को क्यों नहीं, जाने भारत में कब शुरू हुई थी छुट्टी

संडे का अर्थ है छुट्टी का दिन। अब शनिवार को बहुत सारी कंपनियों में छुट्टी होने लगी है। साथ ही, ऐसी कंपनियां भी हैं जो हफ्ते में सिर्फ चार दिन काम कर रही हैं, यानी तीन दिन छुट्टी मिलेगी।
 

संडे का अर्थ है छुट्टी का दिन। अब शनिवार को बहुत सारी कंपनियों में छुट्टी होने लगी है। साथ ही, ऐसी कंपनियां भी हैं जो हफ्ते में सिर्फ चार दिन काम कर रही हैं, यानी तीन दिन छुट्टी मिलेगी। यही कारण है कि अधिकांश कर्मचारी भी इस पक्ष में हैं।

जबकि शुरुआती दिनों में कोई छुट्टी नहीं मिलती थी, तो अब सवाल उठता है कि छुट्टियों का ये सिलसिला आखिर कब शुरू हुआ? भारत में ऐसी कोई छुट्टी नहीं थी। जब अंग्रेज भारत आए, भारतीयों को सातों दिन मजदूरी करनी पड़ी। आइए जानते हैं रविवार की छुट्टी कब और क्यों शुरू हुई।

कब से शुरू हुई रविवार की छुट्टी

भारत में ट्रेड यूनियन मूवमेंट के पिता नारायण मेघाजी लोखंडे के चलते रविवार को छुट्टी मिलनी शुरू हुई, हालांकि इस बारे में कोई पुख्ता जानकारी नहीं है। भारत में अंग्रेजों के शासन में अधिकांश मजदूर सातों दिन काम करते थे।

इससे उनका स्वास्थ्य भी खराब हो गया। मजदूरों को खाना खाने तक पर्याप्त समय नहीं मिलता था। इसके खिलाफ मेघाजी लोखंडे ने आवाज उठाई और 10 जून 1890 को अंग्रेजी हुकूमत ने रविवार को छुट्टी घोषित की।

रविवार को ही छुट्टी क्यों 

अगर मान लें कि मेघाजी लोखंडे की कोशिशों के दौरान रविवार को छुट्टी शुरू हुई, तो भी प्रश्न उठता है कि आखिर रविवार को छुट्टी क्यों चुनी गई? वास्तव में, रविवार को छुट्टी के लिए इसलिए चुना गया था।

क्योंकि अंग्रेज रविवार को चर्च जाते थे। ऐसे में, जब हफ्ते में एक दिन छुट्टी देने की बात आई, तो अंग्रेजों ने रविवार को सबकी छुट्टी करने का निर्णय लिया।

रविवार को कई देशों में छुट्टी नहीं दी जाती 

आज भी बहुत से देश रविवार को छुट्टी नहीं मानते हैं। यह इस्लामिक देश हैं वहा शुक्रवार को नमाज अदा करते हैं। ऐसे में वह रविवार की जगह शुक्रवार को छुट्टी लेते हैं। पश्चिमी देशों में अधिकतर रविवार को छुट्टी होती है।

रविवार को अमेरिका, कनाडा, चीन, फिलीपीन्स और दक्षिणी अमेरिका में छुट्टी है, और लोग चर्च जाते हैं। शनिवार और रविवार को अमेरिका और कनाडा में ब्लू लॉ के कारण अधिकांश सरकारी दफ्तर बंद रहते हैं।

अब हर हफ्ते 3 दिन छुट्टी की हो रही बात

HR Solutions Genius Consultants ने बताया कि अधिकांश लोग चाहते हैं कि हफ्ते में चार दिन छुट्टी हो। उन्हें लगता है कि इससे उत्पादकता बढ़ेगी और कामकाजी जीवन में बैलेंस बढ़ेगा। इससे चिंता और तनाव भी कम होगा।

यह रिपोर्ट फरवरी से सात मार्च के बीच 1,113 नियोक्ताओं और कर्मचारियों पर एक ऑनलाइन सर्वेक्षण पर आधारित है। सर्वे में नियोक्ताओं से पूछा गया कि क्या वे एक अतिरिक्त दिन का अवकाश मिलने पर रोजाना 12 घंटे से अधिक काम करने को तैयार होंगे, तो उनमें से 56 प्रतिशत ने तुरंत ऐसा करने का फैसला किया।

किंतु 44 प्रतिशत कर्मचारी कामकाजी घंटे बढ़ाने के पक्ष में नहीं थे। साथ ही, 60 प्रतिशत कर्मचारियों ने 12 घंटे से अधिक अवकाश लेने को तैयार बताया।