शादी के कार्ड पर भगवान गणेश की फोटो क्यों छपवाई जाती है, जाने इसके पीछे का असली कारण
हिंदू धर्म में विवाह को केवल दो आत्माओं का मिलन नहीं, बल्कि एक पवित्र संस्कार माना जाता है। यह एक ऐसा अवसर होता है जिसमें परिवार, संस्कृति और परंपराएं एक साथ आती हैं। विवाह से पूर्व घर में शुभ काम की शुरुआत के लिए विशेष पूजा-पाठ की परंपरा है, जो इस पवित्र बंधन की शुद्धि और सफलता सुनिश्चित करती है।
हिंदू विवाह परंपरा में गणेश जी की पूजा और निमंत्रण पत्र पर उनकी तस्वीर का होना केवल एक रस्म नहीं। बल्कि विश्वास, समर्पण और आशीर्वाद की मांग है। यह परंपरा हमें सिखाती है कि हमारे जीवन के हर शुभ कार्य की शुरुआत में देवताओं का स्थान सर्वोपरि है। इस पवित्र संस्कार के माध्यम से हम एक सफल, सुखद और आनंदमय विवाहित जीवन की कामना करते हैं।
गणेश जी की पूजा शुरुआत
शादी के निमंत्रण पत्र पर भगवान गणपति की तस्वीर होने के पीछे की मान्यता बहुत ही विशेष है। हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत भगवान गणेश की पूजा से होती है।
गणेश जी को विघ्नहर्ता माना जाता है, जो सभी बाधाओं को दूर करते हैं और सफलता की राह प्रशस्त करते हैं। इसी कारण शादी जैसे पवित्र समारोह की शुरुआत में भी उनकी आराधना की जाती है।
निमंत्रण पत्र और गणपति बप्पा का महत्व
विवाह के निमंत्रण पत्र पर गणेश जी की प्रतिमा न केवल परंपरा का हिस्सा है, बल्कि यह भावना भी व्यक्त करती है कि हम अपने जीवन के इस महत्वपूर्ण आयोजन को उनके आशीर्वाद से शुरू कर रहे हैं।
गणपति को बुद्धि और विवेक का देवता माना जाता है और यह विश्वास किया जाता है कि उनकी कृपा से सभी कार्य सफल होते हैं।
परंपरा का आधार और महत्व
इस परंपरा की जड़ें बहुत गहरी हैं और यह हमारे पूर्वजों द्वारा स्थापित की गई हैं। यह परंपरा हमें यह सिखाती है कि किसी भी नई शुरुआत से पहले हमें अपने इष्ट देवता का आशीर्वाद लेना चाहिए।
विवाह जैसे महत्वपूर्ण संस्कार में गणपति जी की पूजा न केवल हमें उनके आशीर्वाद की प्राप्ति सुनिश्चित करती है, बल्कि यह हमें एक सुखद, सफल और बाधा-मुक्त जीवन की ओर भी ले जाती है।