यक्ष ने गरीब आदमी को दिए सोने के सिक्कों से भरे 6 घड़े, पर खुद के लालच में आकर हो गया कंगाल

लालच बुरी बात है। इससे सुखी जीवन में भी समस्याएं बढ़ने लगती हैं। ये बुरी आदत हमारी बुद्धि को कमजोर करती है। इसे तुरंत छोड़ देना चाहिए। इस बारे में एक लोक कहानी है। जानें ये कहानी..

 

लालच बुरी बात है। इससे सुखी जीवन में भी समस्याएं बढ़ने लगती हैं। ये बुरी आदत हमारी बुद्धि को कमजोर करती है। इसे तुरंत छोड़ देना चाहिए।

इस बारे में एक लोक कहानी है। जानें ये कहानी..।

प्रचलित लोक कथा के अनुसार गांव में पति-पत्नी सुखी जीवन जी रहे थे। पति प्रत्येक दिन राजा के महल में काम करके एक स्वर्ण मुद्रा कमाता था। वह व्यक्ति अपनी ईमानदारी के कारण राजा से प्यार करता था। उसकी पत्नी भी स्मार्ट थी जब वह घर चलाती थी।

महल से एक दिन लौटते समय उस व्यक्ति को एक यक्ष मिला। यक्ष ने कहा कि मैं तुम्हारी मेहनत और ईमानदारी से बहुत खुश हूँ। इसलिए मैं तुम्हें सोने के सात घड़े दे रहा हूँ। ये घड़े आपके घर में मिल जाएंगे। व्यक्ति बहुत प्रसन्न था।

घर पहुंचकर पत्नी को सब कुछ बताया। अंदर कमरे में जाकर सात घड़े देखे। सात घड़े पूरे सोने के सिक्कों से भरे थे, लेकिन एक थोड़ा खाली था। पति ने सातवें घड़े को देखकर गुस्सा होकर कहा कि यक्ष ने धोखा दिया है। पति क्रोधित होकर उसी स्थान पर पहुंचा जहां उसे स्पष्ट देखा गया। यक्ष आया और कहा कि आप सातवां घड़ा अपने पैसे से भरेंगे।

व्यक्ति ने सोचा कि कुछ घड़े भरने में कुछ दिन लगेंगे, लेकिन मेरे पास बाकी छह घड़े पूरे हैं। घर आकर उसने पत्नी से कहा कि हम खुद सातवां घड़ा भरेंगे। उस दिन से, पति-पत्नी ने खाली खड़े में सोने के सिक्के डालने लगे। बहुत दिनों के बाद भी सातवां घड़ा पूरा नहीं हुआ। पति धीरे-धीरे कंजूस हो गया और खाली घड़े को जल्दी भरना चाहता था। घर में पैसे कम होने लगे।

व्यक्ति की पत्नी ने उसे समझाने का प्रयास किया, लेकिन वह स्वीकार नहीं किया। कुछ ही दिनों में घर की व्यवस्था बिगड़ गई। बात-बात पर विवाद होने लगा। सुखमय दिन दुःखमय बन गए। राजा को मालूम हुआ कि सेवक के घर में धन की कमी है, तो उन्होंने सेवक को हर दिन दो स्वर्ण मुद्राएं देना शुरू कर दिया, लेकिन इसके बाद भी सेवक को खुशी नहीं मिली।

एक दिन, राजा ने सेवक से पूछा कि क्या किसी यक्ष ने आपको सात घड़े दिए हैं? सेवादार ने कहा, जी महाराज। राजा को सब कुछ सेवादार ने बताया। राजा ने सेवक को आदेश दिया कि वे तुरंत जाकर सातों घड़े यक्ष को वापस कर दें क्योंकि सातवां घड़ा लोभ का है। ये कभी नहीं भरेगा।

लोभ की भूख कभी नहीं थमती। राजा की बात समझते हुए सेवादार ने सातों घड़े यक्ष को लौटा दिए। तब पति-पत्नी दोनों खुश थे। यह कहानी हमें सिखाती है कि लालच को जल्द से जल्द छोड़ देना चाहिए, वरना जीवन में मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।