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Bakrid Goat: बकरीद पर इस नस्ल का बकरा आपको बना सकता है मालामाल, थोड़ी मेहनत से हो सकती है बंपर कमाई

भारत में बकरे-बकरी का पालन परंपरागत रूप से दूध और मीट दोनों के लिए किया जाता है। हालांकि गोट एक्सपर्ट के अनुसार आज बाजार में मीट की डिमांड दूध से कहीं ज्यादा है। दैनिक घरेलू बाजार हो या अंतरराष्ट्रीय निर्यात...
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भारत में बकरे-बकरी का पालन परंपरागत रूप से दूध और मीट दोनों के लिए किया जाता है। हालांकि गोट एक्सपर्ट के अनुसार आज बाजार में मीट की डिमांड दूध से कहीं ज्यादा है। दैनिक घरेलू बाजार हो या अंतरराष्ट्रीय निर्यात बाजार मटन की मांग में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है।

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विशेष रूप से बकरीद के दौरान बकरों की मांग में अचानक उछाल आता है जो किसानों के लिए अच्छे राजस्व का अवसर प्रदान करता है। बकरे-बकरी पालन न केवल ग्रामीण आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत है बल्कि यह भारतीय कृषि और मीट उद्योग के विकास में भी एक केंद्रीय भूमिका निभा रहा है।

मीट बाजार में उछाल और किसानों की आमदनी

गोट एक्सपर्ट के अनुसार बकरी पालन एक लाभकारी व्यवसाय है। जिसमें पालन के महज छह महीने बाद ही बकरा मुनाफा देने के लिए तैयार हो जाता है। नई तकनीकों और बेहतर प्रबंधन प्रथाओं के कारण अब बकरे के मीट के निर्यात में आने वाली परेशानियों को भी कम किया जा चुका है।

सीआईआरजी मथुरा के निदेशक मनीष कुमार चेटली के अनुसार मीट कारोबार में मंदी की संभावनाएं अब ना के बराबर हैं। जिससे किसानों को भरोसा मिलता है कि उनका व्यवसाय निरंतर लाभकारी रहेगा।

खास नस्ल के बकरे जो मीट के लिए होते हैं प्रसिद्ध

मोहम्मद राशिद जो कि स्टार साइंटीफिक गोट फार्मिंग के संचालक हैं। मोहम्मद राशिद ने बताया कि बकरे की कुछ विशेष नस्लें जैसे कि बरबरी, जमनापरी, जखराना, ब्लैक बंगाल और सुजोत का पालन मीट के लिए किया जाता है।

ये नस्लें न केवल अच्छी मात्रा में मीट प्रदान करती हैं बल्कि कई नस्लें जैसे कि बरबरी और जमनापरी अच्छा दूध भी देती हैं, जिससे किसानों को दोहरा लाभ होता है।

मीट एक्सपोर्ट में आई बड़ी सफलता

मनीष कुमार चेटली के अनुसार पहले एक्सपोर्ट के दौरान मीट की केमिकल जांच में कई बार समस्याएं आती थीं। जिससे कंसाइनमेंट्स वापस आ जाती थीं। यह समस्या मुख्यतः बकरों को दिए जाने वाले चारे में पेस्टीसाइड्स के कारण होती थी।

हालांकि अब सीआईआरजी ने ऑर्गेनिक चारा विकसित किया है जिसे खाने के बाद बकरों के मीट में केमिकल्स की उपस्थिति नहीं पाई गई। जिससे निर्यात में आसानी हो रही है और किसानों की आय में वृद्धि हो रही है।