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बांस की खेती करके किसान हुआ मालामाल, हो रही है लाखों में कमाई

भारतीय कृषि क्षेत्र में एक नया बदलाव देखने को मिल रहा है, जहाँ किसान पारंपरिक फसलों जैसे कि धान, गेहूं और सरसों से हटकर नई और अधिक लाभदायक फसलों की ओर रुख कर रहे हैं
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bans ki kheti: भारतीय कृषि क्षेत्र में एक नया बदलाव देखने को मिल रहा है, जहाँ किसान पारंपरिक फसलों जैसे कि धान, गेहूं और सरसों से हटकर नई और अधिक लाभदायक फसलों की ओर रुख कर रहे हैं. इस नवीन प्रवृत्ति में बांस की खेती (bamboo farming) ने विशेष रूप से ध्यान खींचा है क्योंकि यह न केवल पर्यावरण के अनुकूल है बल्कि यह किसानों को उच्च मुनाफा भी मिलता है.

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बांस की खेती का उद्भव और इसकी मांग (Emergence and Demand of Bamboo Cultivation)

बांस की खेती ने भारतीय किसानों के बीच तेजी से लोकप्रियता हासिल की है. पारंपरिक फसलों की तुलना में बांस की खेती से अधिक आय और कम रख-रखाव की आवश्यकता होती है जिससे यह किसानों के लिए अधिक आकर्षक बन जाती है. बांस का उपयोग विभिन्न उत्पादों जैसे कि फर्नीचर, सजावटी वस्तुओं और यहां तक कि खाद्य सामग्री के उत्पादन में भी किया जाता है जिससे इसकी मांग मार्केट में हमेशा बनी रहती है.

बांस की खेती की तकनीक और विधि (Techniques and Methods of Bamboo Farming)

बांस की खेती के लिए विशेष तकनीकों का अनुसरण किया जाता है. इसमें सबसे पहले उचित नर्सरी से स्वास्थ्य बांस के पौधे खरीदे जाते हैं और फिर उन्हें उचित रोपण विधि से खेतों में लगाया जाता है. रोपण की प्रक्रिया में गड्ढे की उचित गहराई और चौड़ाई का ध्यान रखा जाता है, जिससे पौधे की जड़ों को पर्याप्त स्थान मिल सके. इसके बाद बांस की खेती में नियमित सिंचाई और खाद का उपयोग किया जाता है ताकि पौधे स्वस्थ रूप से बढ़ सकें.

बांस की खेती से आर्थिक लाभ (Economic Benefits from Bamboo Farming)

बाराबंकी जिले के सैदाहा गांव के प्रगतिशील किसान संग्राम सिंह ने बांस की खेती को अपनाकर प्रति एकड़ लगभग चार लाख रुपए का मुनाफा कमाया है. उन्होंने अपनी खेती की तकनीक में नई तकनीक लाते हुए मध्य प्रदेश से बाल कुआं वैरायटी के बांस के पौधे मंगवाए और कम लागत में उच्च उत्पादन हासिल किया. इस प्रक्रिया में उन्होंने न केवल अपनी लागत को कम किया बल्कि उच्च मुनाफा भी मिलता है.