home page

Buffalo Breed: इस नस्ल की भैंस अपने पशुपालकों के लिए नही है किसी वरदान से कम, बाल्टी भर भर के अपने मालिक को बना देती है मालामाल

भारत को भैंसों की सबसे बड़ी आबादी वाला देश माना जाता है। सेंट्रल बफेलो रिसर्च इंस्टीट्यूट के अनुसार भारत में 26 प्रकार की भैंस की नस्लें पाई जाती हैं।
 | 
Animal Husbandry Dairy Farming
   

भारत को भैंसों की सबसे बड़ी आबादी वाला देश माना जाता है। सेंट्रल बफेलो रिसर्च इंस्टीट्यूट के अनुसार भारत में 26 प्रकार की भैंस की नस्लें पाई जाती हैं। इनमें मुर्रा, जाफराबादी, नागपुरी, नीलिरवी, भदावरी, मेहसाणा, सुरती, टोडा आदि नस्लें शामिल हैं।

इन सभी में से कुछ नस्लें सबसे अधिक दूध देने वाली मानी जाती हैं। भारत को भैंसों की कुछ सर्वोत्तम नस्लों का गृह क्षेत्र भी माना जाता है। भैंसों का पालन खासतौर पर डेयरी फार्मिंग के लिए किया जाता है और इस लेख में हम भैंस की एक अनोखी नस्ल पर चर्चा करेंगे, जिसका नाम है टोडा नस्ल।

टोडा नस्ल की भैंस का करें पालन

टोडा नस्ल की भैंस तमिलनाडु की नीलगिरि पहाड़ियों से संबंध रखती है। यह नस्ल दक्षिण भारत के साथ-साथ उत्तर भारत में भी काफी लोकप्रिय हो रही है। टोडा भैंस को उसकी दूध देने की क्षमता के लिए जाना जाता है, ।

जिससे पशुपालक अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। इस नस्ल की भैंस का रंग हल्का भूरा या गहरा भूरा होता है। इसकी असली पहचान इसके छोटे शरीर और चौड़े मुंह से होती है।

दूध उत्पादन की क्षमता

टोडा नस्ल की भैंस एक ब्यांत में लगभग 500 से 700 लीटर तक दूध देने की क्षमता रखती है। इसके सींग लंबे और पूंछ छोटी होती है। इसके पैर बहुत मजबूत होते हैं, जो इसे विभिन्न परिस्थितियों में काम करने योग्य बनाते हैं। यह भैंस दूध उत्पादन के लिहाज से बहुत फायदेमंद मानी जाती है, खासकर डेयरी फार्मिंग में।

हमारा Whatsapp ग्रूप जॉइन करें Join Now

भोजन की खुराक का ध्यान रखें

टोडा नस्ल की भैंसों को आवश्यकतानुसार ही भोजन दें। फलीदार चारा खिलाने से पहले उसमें तूड़ी या अन्य चारा मिला लें, ताकि कोई अव्यवस्था या बदहजमी न हो। यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि भैंसों को पौष्टिक आहार मिले, जिससे वे स्वस्थ और मजबूत रहें।

भैंसों को खाने में दें ये चीजें

भैंसों को निम्नलिखित चीजें खाने में दें:

दाने: मक्की, गेहूं, जौं, जई, बाजरा
तेल बीजों की खल: मूंगफली, तिल, सोयाबीन, अलसी, बड़ेवें, सरसों, सूरजमुखी
बाइ प्रोडक्ट: गेहूं का चोकर, चावलों की पॉलिश, बिना तेल के चावलों की पॉलिश

पशुओं के लिए बनाएं शेड

अच्छे उत्पादन के लिए टोडा नस्ल की भैंस को अनुकूल पर्यावरणीय परिस्थितियों की आवश्यकता होती है। पशुओं को भारी बारिश, तेज धूप, बर्फबारी, ठंड और बीमारियों से बचाने के लिए शेड की आवश्यकता होती है।

यह सुनिश्चित करें कि चुने गए शेड में स्वच्छ हवा और पानी की सुविधा हो। भोजन के लिए जगह पशुओं की संख्या के अनुसार बड़ी और खुली होनी चाहिए, ताकि वे आसानी से भोजन कर सकें।

गर्भवती पशुओं की देखभाल

अच्छे प्रबंधन से बेहतर उत्पादन और अधिक दूध की पैदावार होगी। गर्भवती भैंस को 1 किलो चारा अधिक दें, क्योंकि उनका शारीरिक विकास भी होता है। यह ध्यान रखना आवश्यक है कि गर्भवती भैंस को सही आहार और पर्याप्त आराम मिले।

समय पर टीकाकरण जरूरी

भैंस के बच्चों के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए समय पर टीकाकरण बहुत जरूरी है। जन्म के 7-10 दिन बाद बच्चों के सींगों को इलैक्ट्रीकल ढंग से दाग देना चाहिए। 30 दिनों के नियमित अंतराल पर कृमिनाशक दवा दें। 2-3 सप्ताह के बच्चों को वायरल श्वसन टीका और 1-3 महीने के बच्चों को क्लोस्ट्रीडियल टीकाकरण दें।