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Land Registry: जमाबंदी नही है तो भी खरीद और बेच सकेंगे जमीन, सुप्रीम कोर्ट ने बोली ये बात

सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है जिसमें कहा गया था कि बगैर जमाबंदी और होल्डिंग कायम हुए किसी भी जमीन की खरीद-बिक्री नहीं हो सकती। कोर्ट ने इस मामले की विस्तृत सुनवाई के लिए...
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सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है जिसमें कहा गया था कि बगैर जमाबंदी और होल्डिंग कायम हुए किसी भी जमीन की खरीद-बिक्री नहीं हो सकती। कोर्ट ने इस मामले की विस्तृत सुनवाई के लिए अगली तारीख सितंबर माह में तय की है।

न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की खंडपीठ ने समीउल्लाह की ओर से दायर एसएलपी (सिविल) पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया।

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क्या है जमाबंदी और होल्डिंग का मामला?

पटना हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार शहरी क्षेत्र के अपार्टमेंट और फ्लैट को छोड़ कर सभी इलाकों में जमीन की रजिस्ट्री के लिए विक्रेता के नाम से संबंधित प्लॉट की जमाबंदी होना अनिवार्य कर दिया गया था। जमाबंदी का अर्थ है कि जमीन का मालिकाना हक सरकार के रिकॉर्ड में दर्ज हो। इस जमाबंदी का उल्लेख नए डीड में भी किया जाता है।

जमीन की रजिस्ट्री में आई कमी

याचिकाकर्ता की ओर से वरीय अधिवक्ता मनन कुमार मिश्रा और अधिवक्ता अंजुल द्विवेदी ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार ने 10 अक्तूबर 2019 को बिहार निबंधन नियमावली के नियम 19 में संशोधन कर नया नियम जोड़ दिया था।

इसके तहत जमीन की खरीद-बिक्री और दान तभी हो सकेगा जब जमीन बेचने वाले व दान देने वाले के नाम से जमाबंदी और होल्डिंग कायम हो। इस आदेश के बाद से बिहार के निबंधन कार्यालय में जमीन की रजिस्ट्री कम होने लगी थी जिससे सरकार को राजस्व भी कम आ रहा था।

60 फीसदी दस्तावेजों की रजिस्ट्री घटी

बिहार में जमीन विवाद कम करने और फर्जी रजिस्ट्री पर अंकुश लगाने को लेकर 21 फरवरी 2024 से जमाबंदी की अनिवार्यता लागू की गयी थी। लेकिन बीते लगभग ढाई महीने में इस नियम के चलते निबंधन विभाग के राजस्व पर बड़ा असर पड़ा।

इसके चलते सिर्फ मार्च में निबंधन विभाग का राजस्व करीब 80 फीसदी तक गिर गया था। वहीं अप्रैल और मई माह में भी रजिस्ट्री दस्तावेजों की संख्या में करीब 60 फीसदी जबकि राजस्व में 50 फीसदी की कमी देखी गयी।

अप्रैल-मई माह में 50 फीसदी राजस्व

विभागीय अधिकारियों के मुताबिक नए जमाबंदी नियम के चलते वित्तीय वर्ष 2023-24 में 2022-23 के मुकाबले करीब 15 लाख कम दस्तावेजों की रजिस्ट्री हुई। 2022-23 में 1.54 करोड़ दस्तावेज रजिस्टर्ड हुए थे जिसके मुकाबले 2023-24 में मात्र 1.40 करोड़ दस्तावेजों की ही रजिस्ट्री हो सकी।

नियम लागू होने के बाद सिर्फ मार्च महीने में हर साल 1.50 लाख दस्तावेजों की रजिस्ट्री के मुकाबले मात्र 33 हजार दस्तावेजों की रजिस्ट्री संभव हुई।

सुप्रीम कोर्ट का आदेश और भविष्य की सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद फिलहाल पटना हाईकोर्ट के आदेश को रोक दिया गया है। सितंबर माह में इस मामले की विस्तृत सुनवाई होगी। यह मामला महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे न केवल जमीन की रजिस्ट्री प्रक्रिया प्रभावित होती है।

बल्कि राज्य सरकार के राजस्व पर भी इसका बड़ा असर पड़ता है। राज्य सरकार को उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट के अंतिम निर्णय से इस मामले में स्थिति स्पष्ट हो जाएगी और जमीन की रजिस्ट्री प्रक्रिया में सुधार हो सकेगा।