डॉक्टर की जॉब को छोड़कर पकड़ी थी UPSC की राह, 9वीं रैंक आने के बाद भी नही बनी IAS
यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (यूपीएससी) सिविल सेवा परीक्षा भारत में सबसे चुनौतीपूर्ण परीक्षाओं में से एक है। इस परीक्षा के लिए उम्मीदवार अपनी आकर्षक करियर संभावनाओं को छोड़ कर भी सफलता प्राप्त करने के लिए सभी प्रयास करते हैं।
अपाला मिश्रा की कहानी इस बात का प्रमाण है कि कैसे वह एक सफल चिकित्सक होने के बावजूद इस परीक्षा के लिए अपने पेशे को छोड़ने का निर्णय लिया। कैसे दृढ़ संकल्प, विश्वास और कड़ी मेहनत से किसी भी क्षेत्र में सफलता हासिल की जा सकती है। यूपीएससी जैसी कठिन परीक्षा की तैयारी कर रहे युवाओं के लिए उनकी कहानी एक बेहतरीन मिसाल है।
चिकित्सा से सिविल सेवाओं तक का सफर
गाजियाबाद की रहने वाली अपाला मिश्रा ने अपनी शिक्षा और कड़ी मेहनत को हमेशा प्राथमिकता दी। एक सैन्य परिवार से आने के नाते उन्होंने आर्मी कॉलेज से डेंटल सर्जरी में ग्रेजुएशन की। बावजूद इसके उनका झुकाव हमेशा सिविल सेवाओं की ओर रहा और उन्होंने डॉक्टरी के पेशे को छोड़ दिया। यूपीएससी की कठिन यात्रा को चुना।
यूपीएससी में रिकॉर्ड अंक प्राप्त किए
2020 की यूपीएससी परीक्षा में अपाला ने ऑल इंडिया 9वीं रैंक हासिल की। इस उपलब्धि के बावजूद उनका चयन इंडियन फॉरेन सर्विस (आईएफएस) के लिए हुआ, जो कि उनकी पहली पसंद थी। उन्होंने इंटरव्यू में 275 में से 215 अंक प्राप्त करके पिछले पांच सालों में सबसे अधिक अंक प्राप्त करने का रिकॉर्ड भी बनाया।
सफलता की रणनीति और समर्पण
अपाला की सफलता की रणनीति में नियमित रूप से 7 से 8 घंटे की कठिन पढ़ाई शामिल थी। उनका मानना है कि इस उच्च प्रतिस्पर्धी परीक्षा में सफलता के लिए समर्पण और कड़ी मेहनत अत्यंत आवश्यक है। उनकी कहानी उन युवाओं के लिए प्रेरणा है जो अपने सपनों को साकार करने के लिए परंपरागत मार्गों को छोड़ने का साहस रखते हैं।