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NASA के लिए काम कर चुके भारतीय ने ढूँढा फसलों को बचाने का नया तरीक़ा, क़ाबिलियत के दम पर बनाया शानदार मॉडल

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देश की आर्थिक व्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर है। इसी वजह से यहां कृषि को एक अलग दर्जा दिया गया है। हालांकि, किसानों को बुवाई से लेकर कटाई तक कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। प्राकृतिक आपदाओं और फसलों की बिक्री की बात आने पर किसानों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

ये मॉडल फसलों को नुकसान से बचा सकता है

ओलावृष्टि, भारी बारिश, बाढ़ और सूखे जैसी आपदाएं फसलों को बहुत नुकसान पहुंचा सकती हैं। फसलों को इस नुकसान से बचाने के लिए नासा में काम करने वाले पराग नवरेकर ने एक ऐसा मॉडल विकसित किया जो फसलों को समय रहते नुकसान से बचा सकता था।

इस तरह की जानकारियां उपलब्ध होंगी 

पराग ने एक मौसम केंद्र बनाया है जो उपग्रहों द्वारा एकत्र किए गए डेटा को डीकोड करने के लिए एक सेंसर का उपयोग करता है। एक महान शोध उपकरण होने के अलावा, यह मिट्टी के प्रकार, वनस्पति और नमी के बारे में बहुमूल्य जानकारी भी दे सकता है।

फसल की बीमारियों के बारे में भी बताने में सक्षम

डॉ. पराग ने मौसम स्टेशनों के तीन मॉडल बनाए और अपनी खुद की कंपनी लॉन्च की। उन्होंने अपने लक्ष्यों को हासिल करने के लिए जमीन पर किसानों के साथ काम करने वाली कंपनी सह्याद्री फार्म्स की मदद ली। यह स्टेशन उपकरणों और सेंसर की मदद से मिट्टी, क्षेत्र, नमी की निगरानी कर सकता है। यह उपकरण फसलों में रोगों के प्रारंभिक चरण के निदान को समझने में आपकी सहायता कर सकता है।

किसानों को देगा अलर्ट

फसल खराब होने पर किसानों को अलर्ट किया जाएगा। यह मौसम केंद्र जल प्रबंधन, शीत लहर, पोषक तत्व प्रबंधन, हवा की दिशा, प्रकाश संश्लेषण और पौधों के वाष्पोत्सर्जन जैसे पहलुओं पर डेटा प्रदान करेगा। यह स्टेशन 5 किलोमीटर के दायरे को कवर कर सकता है जिसका उपयोग किसानों के एक समूह द्वारा एक साथ किया जा सकता है।