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सिरसा जिले की बहु ने अपनी मेहनत के दम पर खेती में किया कमाल, लाखों में कमाई और किसानों के लिए बनी रोल मॉडल

रानियां क्षेत्र के गांव चक्कां की निवासी प्रियंका ने अपने पति इन्द्रसेन के साथ मिलकर खेती की दिशा में एक नवाचारी पहल की है। प्रियंका जो कि एक सामान्य मध्यम वर्गीय परिवार से हैं।
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रानियां क्षेत्र के गांव चक्कां की निवासी प्रियंका ने अपने पति इन्द्रसेन के साथ मिलकर खेती की दिशा में एक नवाचारी पहल की है। प्रियंका जो कि एक सामान्य मध्यम वर्गीय परिवार से हैं। प्रियंका ने वार्षिक कम बारिश और लवणीय भूमिगत पानी के चलते परम्परागत खेती को छोड़कर सब्जी उगाने की दिशा में कदम बढ़ाया।

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इस बदलाव ने उन्हें नरमा और कपास की खेती से अधिक मुनाफा दिलाने में मदद की है। प्रियंका और इन्द्रसेन की कहानी न केवल अन्य किसानों के लिए प्रेरणा है। बल्कि यह दर्शाती है कि किस प्रकार 'आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है'। इसने न केवल उनके जीवन को बदला, बल्कि उन्हें नई तकनीक और तरीकों को अपनाने की दिशा में भी प्रेरित किया।

सफलता की पहली सीढ़ी

प्रियंका ने अपनी खेती की शुरुआत मात्र एक एकड़ जमीन पर की, जो पूर्णतः रेतीली और लवणीय थी। पहले वर्ष उन्होंने केवल भिंडी और कक्कड़ी की खेती की, जिससे तीन महीने में ही 50,000 रुपये की बचत हुई। इस सफलता ने उनका हौसला बढ़ाया और उन्होंने विविधतापूर्ण सब्जियों की खेती शुरू की।

ऑर्गेनिक खेती के चुनौतियां और समाधान

प्रियंका का मानना है कि अगर मौसम साथ दे तो वे छह महीनों में सवा से डेढ़ लाख रुपये तक की पैदावार की उम्मीद कर सकती हैं। हालांकि ऑर्गेनिक खेती में नई होने के कारण कुछ दिक्कतें आ रही हैं जैसे कि सब्जियों में लगने वाली बीमारियाँ, पौधों की बढ़वार और उनकी देखभाल।

इसे देखते हुए उन्होंने कृषि विभाग से सलाह ली और नीम, छाछ, हल्दी, गुड़ जैसे प्राकृतिक उत्पादों का उपयोग कर बीमारियों से निपटने के उपाय किए।

ऑर्गेनिक सब्जियों की मांग में वृद्धि

प्रियंका के पति इन्द्रसेन ने बताया कि उनकी सब्जियां भले ही महंगी हों, लेकिन गुणवत्ता के कारण लोग खेत से ही खरीदने आते हैं। इससे उन्हें मंडी जाने की जरूरत नहीं पड़ती और यातायात व अन्य खर्चे भी बचते हैं। यह न केवल उनके लिए लाभदायक है। बल्कि ग्राहकों को भी ताजा और शुद्ध खाद्य सामग्री मिलती है।

कृषि विकास के लिए सरकारी सहायता

प्रियंका और इन्द्रसेन की तरह अन्य किसान भी सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सकते हैं। किसान क्रेडिट कार्ड, फसल बीमा योजना और राष्ट्रीय कृषि मिशन जैसी योजनाएं किसानों को कम ब्याज दर पर ऋण, सब्सिडी और अन्य आर्थिक सहायता प्रदान करती हैं। इन योजनाओं के जरिए किसान अपनी खेती को और भी समृद्ध बना सकते हैं।