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सरसों की फसल के लिए यह खाद है संजीवनी बूटी, दुगना कर देती है तेल की मात्रा

आपके लिए आज की खबर बहुत खास हो जाएगी यदि आप अभी एक किसान हैं। यदि आप सरसों की खेती करते हैं तो ऐसे किसानों की तरफ से डीएपी की बजाय सिंगल सुपर फास्फेट को उपयोग में लाया जाए तो इससे काफी फायदा मिलता है।
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सरसों की फसल के लिए यह खाद है संजीवनी बूटी
   

आपके लिए आज की खबर बहुत खास हो जाएगी यदि आप अभी एक किसान हैं। यदि आप सरसों की खेती करते हैं तो ऐसे किसानों की तरफ से डीएपी की बजाय सिंगल सुपर फास्फेट को उपयोग में लाया जाए तो इससे काफी फायदा मिलता है।

कृषि विशेषज्ञों ने जानकारी देते हुए बताया कि सिंगल सुपर फास्फेट में 16% फास्फोरस होता है इसके साथ इस फास्फेट में 12% सल्फर भी होता है। इन दोनों के मिश्रण से सरसों के दाने की गुणवत्ता बढ़ती है, साथ ही पैदावार में भी वृद्धि होती है।

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 होता है भरपूर लाभ

कृषि मामलो के जानकारों द्वारा जानकारी देते हुए बताया गया कि DAP की तुलना में यदि सिंगल सुपर फास्फेट का इस्तेमाल किया जाए तो यह काफी सस्ता पड़ता है। इससे जो पैदावार होती है उसे सरसों की क्वालिटी भी काफी अच्छी होती है, जिसे मंडियो में बेचने पर काफी अच्छा रुपया मिल जाता है।

यदि मौजूदा समय में किसान डीएपी की जगह इस खाद का इस्तेमाल करते हैं तो उनके उन्हें इसका लाभ तुरंत मिलना शुरू हो जाएगा। किसानों की तरफ से यह दावा भी किया जा रहा है कि बाकी खादों से पैदा हुई सरसों में तेल की मात्रा 37% होती है, लेकिन यदि हम सिंगल सुपर फास्फेट का इस्तेमाल करें तो यह 40% तक पहुंच सकती है।

किसानों को मिलता है बड़ा लाभ

यदि तिलहन फसलों में भी डीएपी की जगह सिंगल सुपर फास्फेट का यूरिया के साथ इस्तेमाल किया जाए तो हमें लाभ मिलने शुरू हो जाते हैं। जैसा कि आप सबको पता है कि रबी की फसलों की बिजाई का काम शुरू हो चुका है और तिलहनी फसलों में नाइट्रोजन और फास्फोरस पोषक तत्व की पूर्ति के लिए सामान्य तौर पर DAP और यूरिया और उर्वरकों का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा तिलहनी फसलों में उत्पादन और उत्पाद गुणवत्ता में बढ़ोतरी के लिए नाइट्रोजन और फास्फोरस के साथ- साथ गंधक की जरूरत पड़ती है।