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ऐसा देश जहां शादी के लिए लड़कों का इंतजार कर रही खूबसूरत और जवां लड़कियां, हुस्न की मल्लिका होने के बाद कुंवारेपन में बीत रही है जिंदगी

दुनिया भर में ऐसी कई जगहें हैं जहाँ सामाजिक संरचना और पारंपरिक नियम अलग-अलग होते हैं। ऐसी ही एक जगह है ब्राजील का नोइवा डो कोर्डेइरो कस्बा, जो अपने अनोखे सामाजिक ढांचे के लिए जाना जाता है।
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दुनिया भर में ऐसी कई जगहें हैं जहाँ सामाजिक संरचना और पारंपरिक नियम अलग-अलग होते हैं। ऐसी ही एक जगह है ब्राजील का नोइवा डो कोर्डेइरो कस्बा, जो अपने अनोखे सामाजिक ढांचे के लिए जाना जाता है। यहां की आबादी मुख्य रूप से महिलाओं से बनी है और पुरुषों की संख्या नगण्य है।

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नोइवा डो कोर्डेइरो की महिलाएं न केवल अपनी स्वतंत्रता का जश्न मना रही हैं बल्कि यह भी दर्शा रही हैं कि समुदाय में महिलाओं की प्रमुख भूमिका हो सकती है। यह कस्बा दुनिया के लिए एक मिसाल कायम कर रहा है। जहां महिलाएं अपनी शर्तों पर जीवन यापन कर रही हैं।

ब्राजील के इस अनोखे कस्बे की सामाजिक व्यवस्था

नोइवा डो कोर्डेइरो के लगभग 600 महिलाएं अपनी खूबसूरती और सशक्तिकरण के लिए प्रसिद्ध हैं। यहाँ की महिलाएं खेती, पशुपालन और अन्य रोजगार संबंधित कामों में सक्रिय रूप से भाग लेती हैं।

इन महिलाओं का कहना है कि वे अपनी स्वतंत्रता और समुदाय के नियमों को बहुत महत्व देती हैं और किसी भी पुरुष को इन नियमों का पालन करना होगा जो इस समुदाय में शामिल होना चाहता है।

शादी और सामाजिक दिशा-निर्देश

इस गांव में ज्यादातर महिलाएं यह चाहती हैं कि उनके जीवनसाथी गांव में ही रहें और यहाँ के सामाजिक नियमों का पालन करें। इसके अलावा गांव की शादीशुदा महिलाओं के पति और बेटे अधिकांशतः बाहर काम करते हैं और वे समय-समय पर ही गांव आते हैं। इस तरह की व्यवस्था ने महिलाओं को अधिक स्वतंत्र और आत्मनिर्भर बनाया है।

समुदाय में महिलाओं की भूमिका

नोइवा डो कोर्डेइरो में महिलाएं सभी प्रमुख फैसले लेती हैं और समुदाय को चलाने में पूर्ण रूप से सक्रिय रहती हैं। ये महिलाएं न केवल घरेलू कार्यों में बल्कि खेती और अन्य व्यावसायिक गतिविधियों में भी अग्रणी भूमिका निभाती हैं।

अंतर्राष्ट्रीय संदर्भ में लिंगानुपात की समस्या

जबकि ब्राजील के इस कस्बे में महिलाओं की संख्या पुरुषों से अधिक है। विश्व स्तर पर लिंगानुपात की समस्या विभिन्न रूपों में प्रकट होती है। कुछ स्थानों पर महिलाओं की संख्या कम होती है, तो कुछ पर पुरुषों की। इसके निवारण के लिए समुदायों को अधिक समावेशी और न्यायसंगत नीतियां अपनानी होंगी।