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भारत का ऐसा जिला जिसके नाम में नही है कोई मात्रा, जीके के धुरंधर भी नही जानते नाम

भारत अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और विविधता के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है. यहाँ की अनोखी परंपराएँ और इतिहास न केवल भारतीयों को बल्कि पूरे विश्व के लोगों को भी आकर्षित करते हैं.
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Which District has not matra: भारत अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और विविधता के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है. यहाँ की अनोखी परंपराएँ और इतिहास न केवल भारतीयों को बल्कि पूरे विश्व के लोगों को भी आकर्षित करते हैं. भारत में वर्तमान में कुल 792 जिले हैं, जिसमें 28 राज्यों के 752 जिले और केंद्र शासित प्रदेशों के 45 जिले शामिल हैं. इनमें से प्रत्येक जिला अपनी विशेषता और ऐतिहासिक महत्व लिए हुए है.

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अलवर (Unique Naming)

राजस्थान का अलवर जिला अपने नाम की विशेषता के लिए जाना जाता है—यह भारत का एकमात्र जिला है जिसके नाम में कोई मात्रा नहीं लगती. अलवर शहर को राव राजा प्रताप सिंह ने लगभग 250 वर्ष पहले बसाया था और इसका इतिहास महाभारत काल से भी जुड़ा हुआ है जब यह मत्स्य प्रदेश के नाम से जाना जाता था.

अलवर की प्रशासनिक व्यवस्था (Administrative Setup)

अलवर जिले में कुल 12 तहसील और 9 उपखंड हैं. इसमें अलवर, गोविंदगढ़, रैणी, लक्ष्मणगढ़, मालाखेड़ा, राजगढ़, थानागाजी और कठमूर उपखंड शामिल हैं. ये तहसील और उपखंड जिले की प्रशासनिक ढांचे को मजबूती मिली हैं और यहाँ के निवासियों को विभिन्न सरकारी सेवाओं का लाभ उठाने में सुविधा हैं.

अलवर शहर का नामकरण (Naming History)

अलवर शहर का नाम राजा अलघराज के नाम पर पड़ा है जो इस क्षेत्र के प्रारंभिक शासकों में से एक थे. यह शहर राजस्थान की राजधानी जयपुर से करीब 170 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है जो इसे राज्य के प्रमुख पर्यटन और ऐतिहासिक स्थलों में से एक बनाता है.

अलवर की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व (Cultural and Historical Significance)

अलवर न केवल अपने ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है बल्कि यहाँ की सांस्कृतिक धरोहर भी बेहद समृद्ध है. यहाँ हर वर्ष विभिन्न सांस्कृतिक समारोह और त्यौहार मनाए जाते हैं, जो देश-विदेश से पर्यटकों को आकर्षित करते हैं. अलवर में राजपूताना शैली की वास्तुकला देखने को मिलती है जो इसके अतीत की गौरवगाथा को बयान करती है.