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जंगली पशुओं से फसलों को बचाने के लिए बनाया अनोखा प्लान, अब सर्दियों के मौसम में पशु नही कर पाएंगे नुकसान

उत्तराखंड में वन्यजीवों की वजह से खेती को हो रहे नुकसान को नियंत्रित करने के लिए राज्य में खेती के पैटर्न को बदलना होगा। खासकर जंगल से सटे क्षेत्रों में ऐसी फसलों को प्रोत्साहित किया जाएगा जो आर्थिक रूप से लाभदायक हैं
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Crop Saving Cropping Pattern
   

उत्तराखंड में वन्यजीवों की वजह से खेती को हो रहे नुकसान को नियंत्रित करने के लिए राज्य में खेती के पैटर्न को बदलना होगा। खासकर जंगल से सटे क्षेत्रों में ऐसी फसलों को प्रोत्साहित किया जाएगा जो आर्थिक रूप से लाभदायक हैं और वन्यजीवों को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं।

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इस दिशा में कृषि विभाग ने कदम उठाया

इसकी पुष्टि कृषि एवं उद्यान सचिव दीपेंद्र कुमार चौधरी ने की। उनका कहना है कि इसका खाका जल्द ही तैयार हो जाएगा। वन्यजीवों की वजह से राज्य के पहाड़ी इलाकों में भारी नुकसान हो रहा है। मैदानों में किसान भी बहुत परेशान हैं।

पहाड़ों में सूअर खेती और बंदर खेती को नुकसान हो रहा है। नीलगाय और हाथी की वजह से मैदानों में समस्या बढ़ती जा रही है। किसानों ने सरकार से वन्यजीवों को नियंत्रित करने की मांग की है। इस दिशा में कृषि विभाग ने कदम उठाया है।

इलेक्ट्रिक की जगह प्राकृतिक फैंसिग बनाना

प्रथम चरण में, जंगलों से सटे क्षेत्रों में खेती के तरीकों को बदलने की योजना बनाई जाती है। जैविक कृषि निदेशक केसी पाठक ने बताया कि वन्यजीव कुछ बागवानी, फसलों और जड़ी-बूटी को पसंद नहीं करते हैं। वन्यजीवों को इनमें मिर्च, तेजपत्ता, लेमन ग्रास जैसे कई फसले नुकसान नहीं पहुंचाते।

लेकिन बाजार में इनकी पर्याप्त मांग है। इस प्रकार की प्रजातियों को जंगल से सटे क्षेत्रों में प्रोत्साहित करने से वन्यजीवों को भीतरी इलाकों में प्रवेश करने से रोका जा सकता है। खेतों को इलेक्ट्रिक से बचाने के लिए वन विभाग से सहयोग लिया जा रहा है। कुछ प्राकृतिक बेल और झाडियां वन्यजीवों को दूर रखने के अलावा खेतों की बाड़ का काम भी करती हैं।