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भारत का ऐसा गांव जहां लड़कियां ब्याह कर लाती है लड़का, दुल्हन के घर पर ही रहता है दूल्हा

भारतीय समाज में जहां एक ओर विवाह के बाद महिलाओं को अपने पिता का घर छोड़ पति के घर में बसने की परंपरा है। वहीं कौशांबी के करारीनगर में स्थित पुरवा नामक गांव इस परंपरा को उलट देता है।
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भारतीय समाज में जहां एक ओर विवाह के बाद महिलाओं को अपने पिता का घर छोड़ पति के घर में बसने की परंपरा है। वहीं कौशांबी के करारीनगर में स्थित पुरवा नामक गांव इस परंपरा को उलट देता है। यहाँ शादी के बाद पुरुष अपनी पत्नी के घर में बसते हैं। जिससे महिलाओं को समाज में एक उच्च स्थान प्राप्त होता है।

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महिला प्रधान समाज की एक झलक

पुरवा गांव में 400 से अधिक परिवार ऐसी अनोखी परंपरा का पालन करते हैं जहां विवाह के बाद पुरुषों को अपना पैतृक घर छोड़ना पड़ता है और वे अपनी पत्नियों के साथ उनके मायके में रहने लगते हैं। इससे न केवल महिलाओं की सामाजिक स्थिति मजबूत होती है। बल्कि वे अपनी स्वतंत्रता और अपने पहचान को भी बनाए रखती हैं।

पारंपरिक भूमिकाओं का उलटफेर

इस गांव की महिलाएं न केवल घर और परिवार चलाने में अपने पतियों के बराबर का योगदान देती हैं। बल्कि वे बीड़ी बनाने जैसे रोजगार में भी सक्रिय रूप से भाग लेती हैं। यहाँ की परंपरा महिलाओं को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाने में मदद करती है। जिससे वे अपने परिवार का बेहतर ढंग से पोषण कर सकें।

एकता और समर्थन की मिसाल

पुरवा गांव की यह परंपरा न केवल एक समुदाय के रूप में एकता और समर्थन की मिसाल कायम करती है। बल्कि यह भी दर्शाती है कि कैसे समाजिक नियमों और परंपराओं को लचीला बनाकर समाज के हर सदस्य को समान अवसर और सम्मान दिया जा सकता है। यहां के दामाद भी अपनी नई समुदाय में पूरी तरह से घुलमिल गए हैं और उन्हें समाज में उचित स्थान प्राप्त है।

सामाजिक परिवर्तन की ओर एक कदम

पुरवा गांव की यह परंपरा न सिर्फ भारत में बल्कि पूरे विश्व में महिला सशक्तिकरण और लिंग समानता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखी जा सकती है। यह उदाहरण स्थापित करता है कि कैसे परंपरागत सोच और सामाजिक ढांचे में परिवर्तन लाकर समाज के हर व्यक्ति को समान अधिकार और सम्मान प्रदान किया जा सकता है।