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भारत का ऐसा गांव जहां पिछले 12 सालों से जाग रहे है लोग, वजह जानकर तो आपको भी होगी हैरानी

दुनिया भर में रात का समय आराम (Rest) का होता है, जहां हर इंसान दिन भर की थकान मिटाने के लिए गहरी नींद (Deep Sleep) में खो जाता है। लेकिन, क्या हो अगर हम आपको बताएं कि भारत के एक गांव में पिछले 12 वर्षों से लोग रात में सोए नहीं हैं?
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दुनिया भर में रात का समय आराम (Rest) का होता है, जहां हर इंसान दिन भर की थकान मिटाने के लिए गहरी नींद (Deep Sleep) में खो जाता है। लेकिन, क्या हो अगर हम आपको बताएं कि भारत के एक गांव में पिछले 12 वर्षों से लोग रात में सोए नहीं हैं? जी हाँ मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के खरगोन जिले में स्थित माकड़खेड़ा गांव (Makadkheda Village) के लोगों ने एक अनोखी परंपरा का सामना कर रहे है।

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माकड़खेड़ा

खरगोन से लगभग 48 किलोमीटर दूर नर्मदा नदी (Narmada River) के सुंदर किनारे पर बसे माकड़खेड़ा गांव में रात होते ही एक अनोखा नजारा देखने को मिलता है। यहाँ के लोग रात में चौकन्ने हो जाते हैं और रातभर जागने (Night Vigil) के लिए तैयार हो जाते हैं।

चोरियों ने बदल दी गांव की दिनचर्या

इस गांव के लोगों ने रात में जागने का फैसला चोरियों (Theft) की बढ़ती घटनाओं के कारण किया। गांव में चोरी की घटनाएं इतनी बढ़ गईं कि गांव के मर्दों ने तय किया कि वह रात को पहरा देंगे। इस परंपरा के अनुसार हर घर से एक आदमी रात के 10 बजे से सुबह 4 बजे तक पहरा (Night Watch) देता है।

एकता में बल

हर घर से 8 दिनों में एक बार किसी न किसी युवक को इस पहरेदारी (Guard Duty) के लिए जाना पड़ता है। इस व्यवस्था से गांव में एकता (Unity) और सहयोग की भावना मजबूत हुई है। यह न केवल गांव की सुरक्षा को सुनिश्चित करता है बल्कि आपसी भाईचारे (Brotherhood) को भी बढ़ावा देता है।

पहरेदारी की अहमियत

जब भी गांव की रखवाली (Vigilance) को बंद किया गया, चोरियों की घटनाएं तेजी से बढ़ गईं। एक बार, जब पहरेदारी बंद कर दी गई तो एक हफ्ते में ही पांच चोरियां हुईं। इससे यह साबित होता है कि पहरेदारी की व्यवस्था कितनी महत्वपूर्ण है। इसके बाद, गांव वालों ने फिर से पहरेदारी शुरू कर दी, जिससे चोरियों में कमी आई।