डेयरी बिजनेस करके हो सकते है मालामाल, इस मशीन से मिनटों में भर जाएगी बाल्टी
dairy farming: गाय-भैंसों का दूध निकालना शारीरिक रूप से थकाऊ कार्य होता है जिसमें काफी समय और मेहनत लगती है. पशुओं की सहूलियत का ख्याल रखना भी जरूरी है क्योंकि कई बार वे अंजान लोगों से दूध नहीं दुहाते हैं. इस काम में लम्बे समय तक बैठने की जरूरत पड़ती है जिससे कंधे, कमर और गर्दन पर दबाव पड़ता है.
मिल्किंग मशीन
ग्रामीण और छोटे शहरी क्षेत्रों से पलायन बढ़ने के साथ दूध दुहने वाले कारीगरों की कमी होती जा रही है. इस समस्या का समाधान ऑटोमैटिक मिल्किंग मशीन (automatic milking machine) से हो सकता है. ये मशीनें हाथ से दूध दुहने की तुलना में कम समय में दूध निकालने में सक्षम होती हैं, जिससे पशुपालकों के लिए समय की बचत होती है और पशुओं को भी आराम मिलता है.
मिल्किंग मशीन के काम
मिल्किंग मशीन में एक पल्स यूनिट (pulse unit) लगी होती है जो वैक्यूम (vacuum) बनाकर दूध को थन से खींचती है. यह दूध को पाइपलाइन के माध्यम से एक कलेक्टर में इकट्ठा करती है. यह प्रक्रिया न केवल दूध दुहने की प्रक्रिया को सरल बनाती है बल्कि दूध की गुणवत्ता को भी सुनिश्चित करती है.
मिल्किंग मशीन के लाभ
मिल्किंग मशीन का उपयोग न केवल दूध उत्पादन में वृद्धि करता है बल्कि दूध की सफाई और शुद्धता में भी सुधार करता है. यह पशुओं के लिए कम परेशानी भरा होता है और नियमित सफाई से थनैला रोग (mastitis) का खतरा कम होता है. लंबे समय तक उपयोग से यह लागत प्रभावी भी साबित होती है.
आधुनिक दूध दुहने की तकनीक की ओर अग्रसर
मिल्किंग मशीन के उपयोग से पशुपालन उद्योग में क्रांति आई है. यह न केवल पशुपालकों को समय और श्रम बचाती है बल्कि पशुओं के स्वास्थ्य और कल्याण को भी सुनिश्चित करती है. इस तकनीक का अपनाना भारतीय डेयरी उद्योग को अधिक प्रगतिशील और विकसित बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.