आखिर किन कारणों के चलते सरसों के दामों में आई गिरावट, जाने इसके पीछे की असली वजह
हाल ही में, मंडियों (Market) में सरसों के भाव में गिरावट (Decline) की बड़ी खबर सामने आई है। न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से 20% कम होने के कारण, किसानों (Farmers) के लिए चिंता का विषय बन गया है। आने वाले समय में, मार्च 2024 तक आवक (Arrival) बढ़ने पर सरसों के भाव में और गिरावट आने की संभावना है।
सरसों की कीमतों में आई गिरावट किसानों के लिए एक बड़ी चिंता का विषय है। सरकार और संबंधित अधिकारियों को इस समस्या का समाधान खोजने की आवश्यकता है ताकि किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य मिल सके और उनकी आय में वृद्धि हो सके।
उत्पादन और बुआई पर प्रभाव
MOPA (Mustard Oil Producers Association) के अनिल छतर ने सीएनबीसी आवाज़ (CNBC Awaaz) के कमोडिटी शो (Commodity Show) में बताया कि राजस्थान (Rajasthan) और गुजरात (Gujarat) में सरसों की बुआई (Sowing) में कमी आई है, जिसके कारण 125 लाख टन सरसों के उत्पादन (Production) की उम्मीद है। पिछले साल, किसानों को फसल का उचित दाम (Fair Price) नहीं मिला था।
बुआई में वृद्धि और गिरावट
1 फरवरी तक सरसों की बुआई में 5% की वृद्धि (Increase) हुई है, जिससे बुआई का क्षेत्रफल 100.39 लाख हेक्टेयर हो गया है। पिछले साल यह 95.76 लाख हेक्टेयर था। हालांकि, कुछ राज्यों में बुआई में गिरावट (Decrease) देखी गई है, जिसमें राजस्थान और गुजरात प्रमुख हैं।
विभिन्न राज्यों में बुआई का आंकड़ा
- उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh): यहां सरसों की बुआई में 27% की बढ़ोतरी हुई है।
- हरियाणा (Haryana) और मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh): इन राज्यों में भी 5% की वृद्धि देखी गई है।
- राजस्थान: इस राज्य में सरसों की बुआई में मामूली 1% की बढ़ोतरी हुई है।
सरकार से इंसेंटिव की मांग
वरिष्ठ वकीलों ने तर्क दिया कि सरकार को इंडस्ट्री (Industry) को 20% इंसेंटिव (Incentive) देने की मांग है, ताकि सरसों की कीमतों में स्थिरता लाई जा सके और किसानों को उनकी मेहनत का उचित मूल्य मिल सके।