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जमीन रजिस्ट्री के कितने टाइम बाद दाखिल खारिज करवाना है जरूरी, जाने इसके पीछे की असली वजह

हर किसी का सपना होता है कि उसका अपना एक घर हो और इस सपने को साकार करने के लिए जमीन खरीदना पहला कदम होता है। लेकिन जमीन खरीदने के साथ ही कई जटिल प्रक्रियाओं का सामना करना पड़ता है....
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हर किसी का सपना होता है कि उसका अपना एक घर हो और इस सपने को साकार करने के लिए जमीन खरीदना पहला कदम होता है। लेकिन जमीन खरीदने के साथ ही कई जटिल प्रक्रियाओं का सामना करना पड़ता है जिसमें से एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है दाखिल खारिज।

आज हम आपको दाखिल खारिज की प्रक्रिया और इसकी आवश्यकता के बारे में बताएंगे। दाखिल खारिज की प्रक्रिया जमीन खरीदने के बाद एक अनिवार्य और महत्वपूर्ण कदम है। इसे नजरअंदाज करना न केवल आपके सपनों के घर के लिए जोखिम भरा हो सकता है।

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बल्कि आपको भविष्य में कानूनी पेचीदगियों में भी उलझा सकता है। इसलिए जमीन खरीदते समय इस प्रक्रिया को अवश्य पूरा करें और अपनी संपत्ति पर अधिकार को मजबूत बनाएं।

दाखिल खारिज जरूरी कदम

जब आप जमीन खरीदते हैं तो उसे अपने नाम पर रजिस्ट्री करवाना पहला कदम होता है। लेकिन कई लोग दाखिल खारिज जिसे म्यूटेशन ऑफ प्रॉपर्टी भी कहा जाता है की प्रक्रिया को नजरअंदाज कर देते हैं।

दाखिल खारिज की प्रक्रिया आपके नाम पर जमीन के मालिकाना हक को कानूनी रूप से मजबूती प्रदान करती है। इसके बिना जमीन पर आपके हक को विवादित किया जा सकता है।

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दाखिल खारिज की प्रक्रिया का महत्व

जमीनी मामलों के विशेषज्ञों के अनुसार जमीन की रजिस्ट्री के बाद 35 से 45 दिन के अंदर दाखिल खारिज करवा लेना चाहिए। यह प्रक्रिया आमतौर पर ऑनलाइन की जा सकती है जिससे इसे करवाना और भी सुगम हो जाता है।

यदि इसे समय सीमा के अंदर पूरा नहीं किया जाता है तो बिक्री करने वाला व्यक्ति उसी जमीन को किसी और को बेचने की कोशिश कर सकता है जिससे आपको बाद में कानूनी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

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कानूनी सुरक्षा की गारंटी

दाखिल खारिज की प्रक्रिया के बाद जमीन पर आपका मालिकाना हक पूरी तरह से सुनिश्चित हो जाता है। यह न केवल आपको कानूनी सुरक्षा प्रदान करता है बल्कि भविष्य में किसी भी प्रकार के विवाद से बचाता है।

इसलिए जब भी आप जमीन खरीदें दाखिल खारिज की प्रक्रिया को अवश्य पूरा करें ताकि आपकी संपत्ति पर आपका हक मजबूती से स्थापित हो सके।